Accepting the demand of step-mother Kaikeyi for a 14 year banvaas, Ram along with wife Sita and brother Lakshmana, made abode in the forest of Chitrakoot, Madhya Pradesh. One day Lakshmana saw from a distance, Bharat approaching with an army and thought that he wanted to kill Ram in order to permanently get the kingdom of Ayodhya (Uttar Pradesh, India). In …
Read More »मुरझाया फूल: महादेवी वर्मा जी की हिंदी कविता
World loves you till the time you have some thing to give. After that you are forgotten. This bitter truth is described metaphorically in this lovely poem by Mahadevi Verma. था कली के रूप शैशव में‚ अहो सूखे सुमन हास्य करता था‚ खिलाती अंक में तुझको पवन खिल गया जब पूर्ण तू मंजुल‚ सुकोमल पुष्पवर लुब्ध मधु के हेतु मंडराते …
Read More »फिर एक बार: महादेवी वर्मा की देशभक्ति कविता
Here is a poem by the well-known poetess Mahadevi Varma, showing her deep devotion and appreciation of the motherland. मैं कम्पन हूँ तू करुण राग मैं आँसू हूँ तू है विषाद मैं मदिरा तू उसका खुमार मैं छाया तू उसका अधार मेरे भारत मेरे विशाल मुझको कह लेने दो उदार फिर एक बार, बस एक बार कहता है जिसका व्यथित …
Read More »कौन तुम मेरे हृदय में? महादेवी वर्मा की खूबसूरत प्रेम कविता
Here is excerpt from a famous poem of Mahadevi Verma. Love takes root in the heart and suddenly the world looks so different! कौन मेरी कसक में नित मधुरता भरता अलक्षित? कौन प्यासे लोचनों में घुमड़ घिर झरता अपरिचित? स्वर्ण सपनों का चितेरा नींद के सूने निलय में! कौन तुम मेरे हृदय में? अनुसरण निःश्वास मेरे कर रहे किसका निरंतर? …
Read More »धूप सा तन दीप सी मैं: महादेवी वर्मा जी की हिंदी कविता
महादेवी वर्मा का जन्म फर्रुखाबाद में हुआ। प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. किया तथा प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या बनीं और आजीवन वहीं रहीं। महादेवी वेदना की गीतकार हैं, जिसकी अभिव्यक्ति छायावादी शैली में प्रकृति के माध्यम से हुई है। काव्य संकलन “यामा” के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1979 में साहित्य अकादमी फेलोशिप, 1956 में पद्म भूषण और 1988 में …
Read More »दीप मेरे जल अकम्पित (दीप शिखा): महादेवी वर्मा
Here is another famous poem by Mahadevi Ji. I love the first lines “clouds are the breath of ocean and lightening the restless thoughts of darkness”. दीप मेरे जल अकम्पित, घुल अचंचल। सिन्धु का उच्छवास घन है, तड़ित, तम का विकल मन है, भीति क्या नभ है व्यथा का आँसुओं से सिक्त अंचल। स्वर-प्रकम्पित कर दिशायें, मीड़, सब भू की …
Read More »अधिकार: महादेवी वर्मा की प्रेरणादायक हिंदी कविता
Those who strive to tirelessly work for others may perish, but here Mahadevi Verma states that she would rather prefer that suffering than become immortal by the grace of God. Be careful to pause at commas to get the true meanings of lines. वे मुस्काते फूल, नही जिनको आता है मुरझाना, वे तारों के दीप, नही जिनको भाता ह बुझ …
Read More »जो तुम आ जाते एक बार – महादेवी वर्मा
जो तुम आ जाते एक बार। कितनी करूणा कितने संदेश, पथ में बिछ जाते बन पराग, गाता प्राणों का तार तार, अनुराग भरा उन्माद राग, आँसू लेते वे पथ पखार। जो तुम आ जाते एक बार। हँस उठते पल में आर्द्र नयन, धुल जाता होठों से विषाद, छा जाता जीवन में बसंत, लुट जाता चिर संचित विराग, आँखें देतीं सर्वस्व …
Read More »पंथ होने दो अपरिचित प्राण रहने दो अकेला – महादेवी वर्मा
घेर ले छाया प्रमा बन आज कज्जल अश्रुओं में, रिम झिमा ले यह घिरा घन और होंगे नयन सूखे तिल बुझे औ पलक रूखे आर्द्र चितवन में यहां शत विद्युतों में दीप खेला पंथ होने दो अपरिचित, प्राण रहने दो अकेला। अन्य होंगे चरण हारे और हैं जो लौटते, दे शूल को संकल्प सारे दुखव्रती निर्माण उन्मद यह अमरता नापते …
Read More »नींद में सपना बन अज्ञात – महादेवी वर्मा
नींद में सपना बन अज्ञात! गुदगुदा जाते हो जब प्राण, ज्ञात होता हँसने का अर्थ तभी तो पाती हूं यह जान, प्रथम छूकर किरणों की छाँह मुस्कुरातीं कलियाँ क्यों प्रात, समीरण का छूकर चल छोर लोटते क्यों हँस हँस कर पात! प्रथम जब भर आतीं चुप चाप मोतियों से आँँखें नादान आँकती तब आँसू का मोल तभी तो आ जाता …
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