System of government: Republic (Yemen Arab Republic)
Capital: San’a
Location: In south-western Arabia, on the Red Sea. Yemen has borders with Saudi Arabia and South Yemen (the Yemen PDR)
Area: 195,000 sq km
National composition: Arabs
Religion: Islam
Official language: Arabic
Currency: Riyal = 100 fils
Administrative divisions: 7 districts
Other major cities: Hodeida (Al Hudaydah), Ta’izz
Highest elevation: Hadhur Shu’ayb (3,760 m)
Chief rivers: Seasonal streams only
Climate: Arid, except in the mountains; progressively hotter to the east
From the Yemen Arab Republic’s coast plain (known as the Tihamah), the land rises steeply to the Yemen Highlands. Beyond lies the Rub’s al Khali desert in the east.
The best farmland is in the comparatively moist highlands, but agriculture employs three-quarters of the people. Cereals are the chief crop, followed by potatoes and vegetables. Top-quality coffee is grown in the country and exported through the port of Mocha, which gave its name to mocha coffee. The country’s considerable mineral resources include alabaster, coal, copper, gold, iron ore, limestone, manganese, mica and semiprecious stones, but the deposits are largely undeveloped.
यमन अरब प्रायद्वीप के दक्षिणी सिरे पर, मध्य-पूर्व एशिया में स्थित एक देश है। यह सऊदी अरब और ओमान के सीमाओं से जुड़ा हुआ है। यहाँ देखने के लिए कई ऐतिहासिक भवन और स्थान उपलब्ध हैं, परन्तु हाल ही मैं घरेलू युद्ध और कई तरह के संघर्ष के कारण इस समय यहाँ पर्यटकों के जाने का सही समय नहीं माना जाता है। तो यदि आपको यहाँ जाना है तो वर्तमान स्थिति की जानकारी अवश्य ले लें। यहाँ का मौसम काफी सूखा और गर्म होता है, लेकिन शरद ऋतु में मौसम बहुत ठंडा हो जाता है कि पानी भी जम जाये।
घूमने के लिए यमन थोड़ा बेकार और कठिनाइयों भरा है। लेकिन आपको कठिनाइयों से प्यार है तो यह आपके लिए कभी न भूल पाने वाला अनुभव होगा। यहाँ के लोग काफी मित्रतापूर्ण व्यवहार करते हैं और सभी का स्वागत करते हैं। सऊदी अरब के आस पास और संयुक्त अरब अमीरात के समान प्रायद्वीप होने के बावजूद भी यमन इन सभी से अलग है।
यमन का इतिहास
दक्षिण पूर्वी अरब में इसके सबसे प्राचीन सभ्यता के केन्द्रों से जुड़ी संस्कृतियाँ बहुत लंबे समय तक यमन में मौजूद थी। यह -12वीं शताब्दी से -6वीं शताब्दी के बीच मिनेयान, सबैयन, हधरामौत, कताबान, औसन और हिमायराइट राज्यों का हिस्सा था और बाद में इथियोपियाई और फारसी का शासन रहा। सातवीं शताब्दी के बाद इस्लामी खलीफा का इस क्षेत्र में नियंत्रण शुरू हुआ। उसके जाने के बाद दक्षिण अफ्रीकी राजवंशों ने उस पर नियंत्रण कर लिया। इसके बाद फारसी इमाम ने यमन पर 160 वर्षों तक राज किया। इसी मध्य उन्होंने यहाँ राजनीतिक संरचना स्थापित की।
11वीं शताब्दी के दौरान मिस्र के सुन्नी खलीफा द्वारा यमन के अधिकाश भागों पर कब्जा कर लिया गया था। 16वीं शताब्दी के बाद फिर 19वीं शताब्दी में Yemen Ottoman Empire का हिस्सा था और कुछ ऐसे समय भी था, जिसमें यमन पूरी तरह इमामों के नियंत्रण में था। 1918 में यमन ओटोमन के कब्जे से आजाद हो गया और तभी से यमन के आधुनिक इतिहास की शुरुआत होती है।
आजादी प्राप्त होने के पश्चात 1918 से लेकर 1962 के मध्य यमन पर हामिद्दीन परिवार का शासन था। 1962 में उत्तर यमन एक गणराज्य बन गया। लेकिन ये 1967 तक एक पूरा गणराज्य नहीं था, क्योंकि अंग्रेजों ने दक्षिण अरब के एडन में 19वीं शताब्दी में एक सुरक्षात्मक क्षेत्र के रूप में अपना बदरगाह स्थापित किया था। उनके जाने के बाद वो हिस्सा दक्षिण यमन बन गया। दक्षिणी सरकार ने 1970 में नाममात्र के लिए साम्यवादी सरकारी प्रणाली को अपनाया, और 22 मई 1990 में दोनों देशों को औपचारिक रूप से यमन गणराज्य के रूप में एकजुट किया गया।
दुर्भाग्य से लगातार कई ऐसी चीजें होने लगी, जिसके कारण ये जगह अब यात्रियों के लिए ठीक नहीं रह गया। वर्ष 2000 में जब अमेरिकी नौसेना का एक पोत ईंधन भरने के लिए एडन में रुका था, तभी अल कायदा ने उस पर हमला कर दिया था। जब से Al Queda अरब प्रायद्वीप में था, तब से वो देश में ताकतवर होता जा रहा था। अमेरिका ने उसके इस हमले का जवाब लगातार अपने मिसाइलों से युक्त ड्रोन के हमलों से दिया। लंबे समय से तानाशाह रहे, अली अब्दुल्ला सलह की सरकार अचानक 2012 में “Arab Spring” से जुड़े नाटकीय विरोध के कारण गिर गई। उनके बाद उनके स्थान पर आए पूर्व उपराष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसौर हदी शायद ही प्रदर्शनकारियों की मांगों के अनुरुप सुधार कर पाते, उन्हें भी “शी हौथिस” की मिलिटिया ने अपने पद से बाहर कर दिया। February 2015 में इसी सरकार ने इसे पूरी तरह संभाला। सुन्नी अरब सरकारें, विशेष रुप से सऊदी अरब की सरकारें सलह और हदी के काफी करीब थे, और इस कारण अरब देश में शी के शासन का विरोध करते थे। इस कारण वे “अल-इस्लाह” का शी हौथिस के खिलाफ गृह युद्ध में समर्थन कर रहे थे, और एक विनाशकारी बमबारी अभियान का नेतृत्व भी कर रहे थे। इस बमबारी ने देश के कई सारे बुनियादी चीजों को नष्ट कर दिया।
14 December 2014 को अमेरिका के राज्य विभाग द्वारा चेतावनी जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि “सैन्य हमलों के कारण बुनियादी सुविधाएँ, जैसे बिजली की उपलब्धता, स्वच्छ जल और चिकित्सकीय देखभाल आदि कम हो गया है। इस कारण आंतरिक सड़कों पर यात्रा करना खतरनाक हो गया है। इस तरह की अस्थिरता अक्सर मानवतावादी संगठनों द्वारा आवश्यक साधनों जैसे खाद्य पदार्थ, चिकित्सा से जुड़े सामान और वितरित करने की क्षमता आदि पर रोक लगा देते हैं”।