युवाओं में सिरदर्द व उसका यौगिक उपचार

युवाओं में सिरदर्द व उसका यौगिक उपचार

युवाओं में पढाई का दबाव, चिन्ता व प्रतिस्पर्धा के जीवन में सिर दर्द एक आम रोग बन चुका है। रोगियों की संख्या की दृष्टि से सिरदर्द सबसे अधिक व्यक्तियों को होने वाला रोग है। यह रोग अल्पकालीन, दीर्घकालीन, कभी-कभी होने वाला या बार-बार होने वाला, सामान्य दर्द, तीव्र दर्द, पूरे सिर में या आधे सिर में होने वाला दर्द अर्थात् कई रूपों में हो सकता है। सिरदर्द कई प्रकार का हो सकता है। जैसे जब यह सिर के किसी एक हिस्से में होता है, जी मिचलाता है, उल्टी आती है या रोशनी सहन नहीं होती आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो इसे माइग्रेन का दर्द कहते हैं। इसके अतिरिक्त जब युवा ज्यादा चिन्ता करता है या अधिक सोचता है और इससे उसकी कनपट्टियों के आसपास दर्द होता है तो उसे तनाव सिरदर्द कहते हैं। इसी प्रकार चेहरे की हड्डियों में खाली जगह – जिन्हें साइनस कहते हैं, जब उनमें दूषित कफ जमा हो जाता है, उससे युवा के माथे, गले व सिर में दर्द होता है, उसे साइनस सिरदर्द कहते हैं। जब युवाओं में बार-बार सिर दर्द होता है तो उनकी पढाई प्रत्यक्ष रूप में प्रभावित होने लगती है, जो उनके लिए चिन्ता का विषय बन जाता है जिससे रोग और बढने लगता है। अतः समय रहते इसका उपचार जरूरी हो जाता है।

सिर दर्द कर लक्षण:

  • माथे वाले भाग में दर्द होना।
  • सिर के बीच वाले भाग में दर्द होना।
  • कनपटी में दर्द होना।
  • पूरे सिर में दर्द होना।
  • कभी-कभी सिरदर्द में बेहोशी का आना।
  • उल्टी आना।
  • आंखों में दर्द होना।

सिर दर्द के कारण:

  • बुखार होना व ठण्ड लगना।
  • नजला, जुकाम, खांसी होना।
  • साइनसाइटिस का रोग होना।
  • सिर व गर्दन की मांसपेशियों का सिकुड़ना।
  • आंखो की दृष्टि कमजोर होना।
  • पढाई की चिंता करना।
  • नींद न आना।
  • पढाई की चिन्ता में मानसिक तनाव बनना।
  • अल्परक्तता का रोग होना।
  • स्नायुतन्त्र कमजोर होना।
  • सरवाइकल स्पॉण्डिलाइटिस होना।
  • मोबाइल का अधिक प्रयोग करना।
  • परीक्षा की तैयारी समय रहते न करना।
  • शारीरिक व्यायाम न करना।
  • फल व सब्जियों का सेवन न करना।
  • परीक्षा से भयभीत होना।

सिर दर्द रोग का उपचार:

अधिकांशतः सिर दर्द का मुख्य कारण मानसिक तनाव, स्नायु-तन्त्र का कमजोर होना, नाकारात्मक विचार, अवसाद तथा मस्तिष्क वाले भाग में रक्त परिसंचरण व प्राण के प्रवाह में आई कमी है, जिसे योगाभ्यास, प्राकृतिक उपचार व भोजन में सुधार लाकर ठीक कर इस रोग से निजात संभव है।

सिर दर्द का यौगिक उपचार:

शुद्धि क्रियाएं, आसन, प्राणायाम व ध्यान के अभ्यास से शारीरिक व मानसिक अवस्था को ठीक कर मस्तिष्क वाले भाग में रक्त के परिसंचरण व प्राण के प्रवाह को ठीक करके इस रोग का उपचार संभव है।

  • शुद्धि क्रिया: जल नेति व रबर नेति या सूत्र नेति का अभ्यास करने से मस्तिष्क वाले भाग जमा मल का शोधन होने से वहां पर रक्त व ऑक्सीजन का परिसंचरण ठीक होने लगता है जो कि इस रोग को ठीक करने में सहायक है।
  • आसन: ग्रीवा व कन्धों की सूक्ष्म क्रियाएं, सूर्य नमस्कार, उष्ट्रासन, भुजंगासन, अर्धचक्रासन, धनुरासन, मकरासन व शवासन सिरदर्द के उपचार में सहायक हैं।
  • प्राणायाम: प्राणायामों के अभ्यास से मस्तिष्क वाले भाग में कुछ ऐसे हार्मोन्स बनने लगते हैं, जो कि रक्त में मिल कर सिर दर्द के रोग को ठीक करने में सहायक हैं। प्राणायाम से मानसिक तनाव कम होता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम व भ्रामरी प्राणायाम का का अभ्यास विशेषतः लाभकारी हैं। इनके अभ्यास से रक्त-कोशिकाएं लचकदार बनाती हैं व मस्तिष्क के न्यूरॉन्स प्रभाव में आने से सिरदर्द ठीक होता है।
  • योगनिद्रा व ध्यान: योगनिद्रा व ध्यान का अभ्यास हमारे शारीरिक व मानसिक तनाव को खत्म करता है। मन शान्त होता है व सोच सकारात्मक बनती हैं, जिससे सिरदर्द में आराम मिलता है।

भोजन:

  • सुपाच्य भोजन का सेवन करें।
  • सलाद, फल, हरी सब्जियां व अंकुरित अनाज का सेवन हितकारी है।

अन्य सुझाव:

  • सिर पर बादाम रोगन की मालिश करें।
  • नासिका में बादाम रोगन की दो-दो बूंद डालें।
  • पानी का अधिक मात्रा में सेवन करें।
  • योगाभ्यास प्रतिदिन करें।
  • समय रहते अपनी पढाई करें, न की पढाई को लेकर भयभीत हों।

~ देस राज [Mobile: 9899914869]

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