भोजन द्वारा वायु प्रदूषण पर नियंत्रण

भोजन द्वारा वायु प्रदूषण पर नियंत्रण

सार्वजनिकस्वास्थ्य के लिए प्रदूषण बहुत बड़ा खतरा बन गया है। हवा में जहरीले कण, जैसे, नाइट्रोजनऑक्साइड, डीजल-पैट्रोल, ऑजन, कीटनाशक दवाइयां, कांच एवं अन्य धातुएं आदि अति सूक्ष्म मात्रा में मौजूद रहते हैं, जो शरीर के लिए घातक होते हैं। हवा का हिंसक प्रदूषण अनेक बीमारियों जैसे कि हृदय (Cardiovascular) तथा रक्तवहिकाओं (Blood Vessels) संबंधी, स्व प्रतिरक्षित (Autoimmune) कैंसर, श्वास-प्रश्वास आदि का विश्व में प्रमुख कारण है। हवा में जहरीला गैसों, रसायनों आदि के कण हरेक सीमा को पार कर फेफड़ों की वायु कोष्ठिकाओं (Alveoli) में जमा हो जाते हैं। फेफड़ों की सतह पर रक्षात्मक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो इन जहरीले वायु कणों से लड़ते हैं। लेकिन लगातार हो रहे प्रदूषण के प्रबल हमले को फेफड़े सह नहीं पाते तथा इससे ऑक्सीजन का आदान-प्रदान धीमा पड़ जाता है। फेफड़ों की रक्षा पंक्ति को पार करके ये कण रक्त में मिश्रित होकर सारे शरीर में पहुंच जाते हैं। इससे अंगों में सूजन आने लगती है या अंग कमजोर हो जाते हैं।

हवा का प्रदूषण अमीर, गरीब सभी को प्रभावित कर रहा है। सरकारें हवा की गुणवत्ता को सुधारने में लगी हुई हैं लेकिन समस्या बढती ही जा रही है। वैज्ञानिक अनुसंधान बताते हैं कि संतुलित और पौष्टिक आहार के सहारे शरीर को प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है। भोजन के तत्व, विटामिन तथा लवण, खनिज अंगों की सूजन को कम करने में सक्षम हैं। भोजन में मौजूद निम्निलिखित एंटीऑक्सीडेंट (वे अणु जो दूसरे अणुओं के ऑक्सीडेशन को रोकते है) विशेषकर अधिक सहायक हैं।

पानी में घुलनशील, विटामिन C सबसे प्रबल एंटी आक्सीडेंट्स का कार्य करता है। यह विटामिन विषैले कणों की शरीर पर होने वाली प्रतिक्रिया से रक्षा करता है। यह विटामिन खट्टे या कसैले फल जैसे कि संतरा, मौसमी, आंवला, अमरुद, टमाटर, हरी मिर्च, रसभरी, आलूबुखारा, जामुन, चेरी, कुछ हरी पत्तेदार सब्जियों, सरसों का साग, ब्रोकली आदि से मिलता है। यह विटामिन E की उत्पत्ति में मददगार होता है।

जो विषैले पदार्थ रक्त-प्रवाह के साथ अंगों की कोशिकाओं तक पहुंचकर हानी पहुंचाते हैं, उनसे बचने के लिए सुरक्षा का पतला कवच विटामिन E ही होता है। वसा में घुलनशील विटामिन E तेल वाले बीजों से प्राप्त होता है। यह लाल मिर्च, लाल शिमला मिर्च, लौंग, तुलसी, मेथी, अलसी, मूंगफली, बादाम आदि सभी में होता है।

विटामिन A और बीटा कैरोटिन, रक्त में प्रविष्ट विजातीय कणों के दुष्प्रभाव से कोशिकाओं को बचाते हैं। ये हरी सब्जियों जैसे कि धनिए के पत्ते, मेथी, अजवायन की पत्तियां, पत्तागोभी, पालक, गाजर, ब्रोकली, आम, जामुन, मछली के जिगर का तेल (Coad oil), मक्खन, पनीर आदि में मिलते हैं। ये एंटी ऑक्सीडेन्ट्स कोशिकाओं की झिल्लियों को शक्ति देते हैं। इन सभी आहारों में विटामिन B कॉम्पलेक्स भी शामिल हैं। विटामिन B की पूरी श्रृंखला (B2, B6, B9 & B12+tilic acid) कोशिकाओं की उत्पत्ति और मरम्मत में सहायक होती है।

कुछ खनिज और लवण जो हम भोजन में खाते हैं, वें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity) को शक्ति देते हैं तथा विषैले उग्र तत्वों को प्रभावहीन करने की क्षमता रखते हैं। इनके फाइटोन्यूट्रीएट्स (phytonutrients) शरीर में स्वतंत्र घूमने वाले तत्वों को बाहर निकाल कर सफाई करते हैं तथा नुकसान से बचाव करते हैं। (विशेषकर जिंक) जिसमें कम मात्रा में कॉपर, लोहतत्व और मैगनीज होता है वे भोजन हैं – बादाम, अखरोट आदि। बीजों तथा साबुत अनाजों में ये खनिज होते हैं। ताजे फल, सब्जियों और अंकुरित अनाजों तथा दालों से प्राप्त फाइटोरसायन और एंजाइम विषहरण का काम करते हैं। कुछ परंपरागत खाए जाने वाले आहार, जैसे कि गुड़, अदरक, तुलसी, हल्दी, दालचीनी, इलायची, हरड़, घी आदि वायु प्रदूषण से लड़ने में सहायता करते हैं।

  • हल्दी एक शक्तिशाली एंटीआक्सीडेंट है, जो फेफड़ों की प्रदूषण के जहरीले कणों से रक्षा करता है।
  • हल्दी में गुड़ और मक्खन मिलाकर खाने से प्रदूषण से होने वाली खांसी और अस्थमा में आराम मिलता है।
  • प्याज के रस में गुड़ मिलाकर खाने से कफ बाहर निकलता है।
  • गुड़ के साथ हरड़ लेने से भी कफ बाहर निकलता है।
  • पानी वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव को कम करता है। अतः प्रतिदिन 3 – 4 लीटर पानी पीना चाहिए।

प्रतिदिन योग केन्द्र में जाकर योगासन एवं प्राणायाम करें। योगाभ्यास शरीर की प्रतिरोधात्मक शक्ति को बढ़ाता है। इससे अंगो की सूजन कम होती है। पार्क में केन्द्र का स्थान कम प्रदूषण वाले भाग में बनाएं। अधिक वायु प्रदूषण वाले दिन प्राणायाम कम करें।

~ वेद प्रकाश राठी [Mobile: 9312933729]

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