अहिल्याबाई होल्कर: महेश्वर की राजमाता

अहिल्याबाई होल्कर: महेश्वर की राजमाता

अहिल्याबाई होलकर (31 मई 1725 – 13 अगस्त 1795), मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी तथा इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खण्डेराव की धर्मपत्नी थीं। उन्होने माहेश्वर को राजधानी बनाकर शासन किया।

अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मन्दिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए-काशी विश्वनाथ में शिवलिंग को स्थापित किया, भूखों के लिए अन्नसत्र (अन्यक्षेत्र) खोले, प्यासों के लिए प्याऊ बिठलाईं, मन्दिरों में विद्वानों की नियुक्ति शास्त्रों के मनन-चिन्तन और प्रवचन हेतु की।

अहिल्याबाई होल्कर: डा. हरीशचंद्र झंडई

मालवा भूमि की थी रानी, मानवता की आवाज,
आदर्श, सिद्धांतों की ऊर्जा,
ममता की थी प्रतीक, दयाभाव,
वह थी धर्म की देवी अहिल्याबाई।

मानव कल्याण की थी अनुभूति, कुशल प्रशासका,
सेवाभाव की थी पुजारिन, अद्भुत शक्ति,
ढूंढती थी निराशाओं में आशा,
शौर्य की थी वह तलवार, रणकुंवरों की थी प्रेरणा,

धरती की वीरांगना,
होल्कर परिवार कौ थी शान, तेजस्वी, तपस्वनी,
समरसता, अस्मिता, निडरता की आवाज,
गरीबों की थी संगिनी,

छू लेता था दर्द उसकी अंतरात्मा को,
करती थी सेवा ममता की छांव में,
मंदिर, मस्जिद की मानव एकता,
कला-संस्कृति की थी वह पहचान।

अमर रहेगी उसकी हमेशा जीवन गाथा,
वह थी भारतीय नारी आहिल्याबाई।

~”अहिल्याबाई होलकर” poem by ‘डा. हरीशचंद्र झंडई

अहिल्याबाई ने इंदौर (Madhya Pradesh) को एक छोटे-से गांव से खूबसूरत शहर बनाया। मालवा में कई किले और सड़कें बनवाईं। उन्होंने कई घाट, मंदिर, तालाब, कुएं और विश्राम गृह बनवाए। न केवल दक्षिण भारत में बल्कि हिमालय पर भी। सोमनाथ, काशी, गया, अयोध्या, द्वारका, हरिद्वार, कांची, अवंती, बद्रीनारायण, रामेश्वर, मथुरा और जगन्नाथपुरी आदि।

Check Also

English Poem about Thanksgiving: The Pumpkin

The Pumpkin: English Poem to read on Thanksgiving Day Festival

The Pumpkin: John Greenleaf Whittier uses grandiose language in “The Pumpkin” to describe, in the …