दक्षिणेश्वर काली मंदिर, उत्तर कोलकाता में, बैरकपुर में, विवेकानन्द सेतु के कोलकाता छोर के निकट, हुगली नदी के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक हिन्दू मन्दिर है। इस मंदिर की मुख्य देवी, भवतारिणी है, जो हिन्दू देवी काली माता ही है। यह कलकत्ता के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, और कई मायनों में, कालीघाट मन्दिर के बाद, सबसे प्रसिद्ध काली मंदिर है। इसे वर्ष १८५४ में जान बाजार की रानी रासमणि ने बनवाया था।
Name: | दक्षिणेश्वर काली मंदिर (Dakshineswar Kali Temple) |
Location: | Dakshineswar, Kolkata, West Bengal 700076 India |
Deity: | Kali |
Affiliation: | Hinduism |
Festivals: | Kali Puja, Navaratri, Snana Yatra, Kalpataru Day |
Founder: | जान बाजार की महारानी रासमणि – Rani Rashmoni |
Completed In: | 31st May, 1855 |
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, बैरकपुर, कोलकाता
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, प्रख्यात दार्शनिक एवं धर्मगुरु, स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कर्मभूमि रही है, जोकि बंगाली अथवा हिन्दू नवजागरण के प्रमुख सूत्रधारों में से एक, दार्शनिक, धर्मगुरु, तथा रामकृष्ण मिशन के संस्थापक, स्वामी विवेकानंद के गुरु थे। वर्ष १८५७-६८ के बीच, स्वामी रामकृष्ण इस मंदिर के प्रधान पुरोहित रहे। तत्पश्चात उन्होंने इस मन्दिर को ही अपना साधनास्थली बना लिया। कई मायनों में, इस मन्दिर की प्रतिष्ठा और ख्याति का प्रमुख कारण है, स्वामी रामकृष्ण परमहंस से इसका जुड़ाव। मंदिर के मुख्य प्रांगण के उत्तर पश्चिमी कोने में रामकृष्ण परमहंस का कक्ष आज भी उनकी ऐतिहासिक स्मृतिक के रूप में संरक्षित करके रखा गया है, जिसमें श्रद्धालु व अन्य आगन्तुक प्रवेश कर सकते हैं।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण सन 1847 में प्रारम्भ हुआ था। जान बाजार की ज़मीन्दार, रानी रासमणि ने स्वप्न देखा था, जिसके अनुसार माँ काली ने उन्हें निर्देश दिया कि मंदिर का निर्माण किया जाए। इस भव्य मंदिर में माँ की मूर्ति श्रद्धापूर्वक स्थापित की गई। सन 1855 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में स्थित है।
स्थापत्य (Architecture): दक्षिणेश्वर काली मन्दिर
दक्षिणेश्वर मंदिर देवी माँ काली के लिए ही बनाया गया है। दक्षिणेश्वर माँ काली का मुख्य मंदिर है। भीतरी भाग में चाँदी से बनाए गए कमल के फूल जिसकी हजार पंखुड़ियाँ हैं, पर माँ काली शस्त्रों सहित भगवान शिव के ऊपर खड़ी हुई हैं। काली माँ का मंदिर नवरत्न की तरह निर्मित है और यह 46 फुट चौड़ा तथा 100 फुट ऊँचा है।
विशेषण आकर्षण यह है कि इस मंदिर के पास पवित्र गंगा नदी जो कि बंगाल में हुगली नदी के नाम से जानी जाती है, बहती है। इस मंदिर में 12 गुंबद हैं। यह मंदिर हरे-भरे, मैदान पर स्थित है। इस विशाल मंदिर के चारों ओर भगवान शिव के बारह मंदिर स्थापित किए गए हैं।
प्रसिद्ध विचारक रामकृष्ण परमहंस ने माँ काली के मंदिर में देवी की आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त की थी तथा उन्होंने इसी स्थल पर बैठ कर धर्म-एकता के लिए प्रवचन दिए थे। रामकृष्ण इस मंदिर के पुजारी थे तथा मंदिर में ही रहते थे। उनके कक्ष के द्वार हमेशा दर्शनार्थियों के लिए खुला रहते थे।
माँ काली का मंदिर विशाल इमारत के रूप में चबूतरे पर स्थित है। इसमें सीढि़यों के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं। दक्षिण की ओर स्थित यह मंदिर तीन मंजिला है। ऊपर की दो मंजिलों पर नौ गुंबद समान रूप से फैले हुए हैं। गुंबदों की छत पर सुन्दर आकृतियाँ बनाई गई हैं। मंदिर के भीतरी स्थल पर दक्षिणा माँ काली, भगवान शिव पर खड़ी हुई हैं। देवी की प्रतिमा जिस स्थान पर रखी गई है उसी पवित्र स्थल के आसपास भक्त बैठे रहते हैं तथा आराधना करते हैं।
प्रांगण:
दक्षिणेश्वर माँ काली मंदिर के सामने नट मंदिर स्थित है। मुख्य मंदिर के पास अन्य तीर्थ स्थलों के दर्शन के लिए भक्तजन की भीड़ लगी रहती है। दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है। दक्षिणेश्वर माँ काली का मंदिर विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। भारत के सांस्कृतिक धार्मिक तीर्थ स्थलों में माँ काली का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है।
मंदिर की उत्तर दिशा में राधाकृष्ण का दालान स्थित है। पश्चिम दिशा की ओर बारह शिव मंदिर बंगाल के अटचाला रूप में हैं। चाँदनी स्नान घाट के चारों तरफ शिव के मंदिर हैं। छ: मंदिर घाट के दोनों ओर स्थित हैं। मंदिर की तीनों दिशाएँ उत्तर, पूर्व, पश्चिम में अतिथि कक्ष तथा ऑफिस स्थित हैं। पर्यटक साल में हर समय यहाँ पर भ्रमण करने आ सकते हैं।
How To Reach Dakshineswar Kali Temple:
- वायुमार्ग: कोलकाता वायुसेवा के माध्यम से बंगलोर, मुंबई, दिल्ली, पटना, चेन्नई सहित सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
- रेलमार्ग: कोलकाता में मुख्य तौर पर दो स्टेशन हैं- सियालदह तथा हावड़ा। कोलकाता रेलमार्ग के माध्यम से भी सभी प्रमुख बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।
- सड़क: हर प्रमुख शहरों से कोलकाता जाया जा सकता है। स्थानीय साधन कोलकाता में मीटर से टैक्सी चलती है। बस, मेट्रो रेल, साइकल रिक्शा तथा ऑटो रिक्शा चलते हैं।
मंदिर के खुलने का समय: प्रातःकाल 5.30 से 10.30 तक। संध्याकाल 4.30 से 7.30 तक।