हनुमान सेतु मंदिर, अलीगंज, लखनऊ: लखनऊ में हनुमान सेतु मंदिर है, जो वहां का अति प्रसिद्ध मंदिर है। लेकिन ऐसा ही एक और मंदिर लखनऊ में है, जिसे अलीगंज का नया हनुमान मंदिर के नाम से जाता है। बता दें कि इस मंदिर की स्थापना नवाब शुजाउद्दौला की बेगम और दिल्ली की मुगलिया खानदान की बेटी आलिया बेगम ने करवाई थी। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि इस्लाम बाड़ी के नाम से एक टीला “हीवेट पॉलिटेक्निक (Hewett Polytechnic)” के पास हुआ करता था। इस टीले में एक मूर्ति थी, जिसे मुस्लिम इस्लाम बाड़ी वाले बाबा के नाम से जानते थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार आलिया बेगम की कोई संतान नहीं थी, जिससे वह बहुत दुखी थीं। एक दिन बेगम के माली ने राय दी कि आप इस्लाम बाड़ी के दरबार जाकर अर्जी लगाएं।
Name: | हनुमान सेतु मंदिर (Hanuman Setu Mandir) |
Location: | Purana Haidarabad, Hasanganj, Lucknow, Uttar Pradesh 226007 India |
Deity: | Lord Hanuman |
Affiliation: | Hinduism |
Festivals: | Hanuman Jayanti, Rama Navami, Diwali |
Architecture: |
Hindu Architecture
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हनुमान सेतु मंदिर, अलीगंज, लखनऊ
बेगम साहिबा ने वहां गईं। जिसके बाद उनकी मनोकामना पूरी हुई। एक दिन बेगम को सपने में बजरंगबली ने दर्शन दिए और कहा कि इस टीले में मेरी मूर्ति है, जिसमें मैं वास करता हूं। इसलिए इस मूर्ति की कहीं स्थापना करा दें। जिसके बाद बेगम साहिबा ने टीला खुदवाया तो उसमें से सच में हनुमान जी की मूर्ति निकली। बेगम साहिबा मूर्ति को हाथी पर रखकर गोमती के पार ले जाना चाहती थीं मगर हाथी अलीगंज में ही बैठ गया। मूर्ति का वज़न इतना ज्यादा हो गया कि कोई उसे हिला तक नहीं सका। ऐसे में आलिया बेगम ने मूर्ति की वहीं स्थापना करा दी और पुजारी नियुक्त कर दिया।
हनुमान जी के इस मंदिर में लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं। इसके बाद भक्त सिन्दूर का चोला, नए वस्त्र, झण्डा और घंटा टांगते हैं।
इस मंदिर की सबसे अलग बात ये है कि देश का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहां पर जेठ की तपती दोपहरी में लाल लंगोटी वाले युवा जमीन पर लेटते हुए हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं और मनौती पूरी करने की अरदास लगाते हैं। यह सिलसिला पहले बड़े मंगल से लेकर अंतिम बड़े मंगल तक चलता है।
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हनुमान सेतु मंदिर, लखनऊ में गोमती नदी के किनारे एक हनुमान मंदिर है। यह मंदिर नदी पर बने एक पुल के किनारे बना है। इस कारण यह पुल हनुमान सेतु एवं मंदिर हनुमान सेतु मंदिर कहलाता है। यह मंदिर नीम करौरी बाबा ने बनवाया है। इस मंदिर से लगा बाबा का भी एक मंदिर बना है।
यह सेतु लखनऊ विश्वविद्यालय से हज़रतगंज को जोड़ता है। पहले इस स्थान पर मंकी ब्रिज हुआ करता था, जो १९७२ में आई गोमती नदी की बाढ़ में बह गया था। उस ही स्थान पर नया सेतु बना है। सेतु के किनारे ही लखनऊ विश्वविद्यालय का यूनियन भवन एवं केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआराई) की आवासीय कालोनी है। दूसरी ओर सेतु से उतरते ही परिवर्तन चौक है, जिसके दायीं ओर होटाल क्लार्क्स अवध एवं छतर मंजिल है।