33 साल बाद श्रीनगर में निकला मुहर्रम का ताजिया

33 साल बाद श्रीनगर में निकला मुहर्रम का ताजिया

33 साल बाद श्रीनगर के लाल चौक से निकला मुहर्रम का ताजिया, मुस्लिम बहुल फिर भी खौफ में थे शिया: मोदी राज में हुए भयमुक्त

इस जुलूस का निकलना बताता है कि जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन कर, आर्टिकल 370 को खत्म कर और आतंकवाद की कमर तोड़ कर मोदी सरकार ने किस तरह इस केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति सामान्य की है। अब हर तबका भय मुक्त होकर जी रहा है।

यह आपको सुनने में अजीब लग सकता है, पर सच्चाई यही है। 33 साल बाद श्रीनगर की गलियों से मुहर्रम का ताजिया निकला है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के बावजूद 1989 से शिया मुहर्रम का जुलूस नहीं निकाल पा रहे थे। यह बताता है कि जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन कर, आर्टिकल 370 को खत्म कर और आतंकवाद की कमर तोड़ कर मोदी सरकार ने किस तरह इस केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति सामान्य की है। अब हर तबका भय मुक्त होकर जी रहा है।

1989 में एक आदेश जारी कर श्रीनगर के डलगेट मार्ग से ताजिया निकालने पर पाबंदी लगाई गई थी। इसी रास्ते में लाल चौक भी पड़ता है। लेकिन 27 जुलाई 2023 को इस रास्ते से शिया मुस्लिमों ने मुहर्रम का जुलूस निकाला। सैकड़ों लोग इसमें शामिल थे।

33 साल बाद श्रीनगर में निकला मुहर्रम का ताजिया

कश्मीर के अतिरित्क पुलिस महानिदेशक IPS विजय कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि शिया समुदाय पिछले काफी समय से मुहर्रम के जुलूस की अनुमति माँग रहा था। प्रशासन ने इस बार अनुमति देते हुए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए थे। वहीं कश्मीर के कमिश्नर वी के भिदुरी के मुताबिक वर्किंग डे में अन्य लोगों की सुविधा को देखते हुए जुलूस के लिए सुबह 6 से 8 बजे के बीच 2 घंटे का समय निर्धारित किया गया था। भिदुरी ने इस जुलूस की अनुमति को प्रशासन का ‘ऐतिहासिक कदम’ बताया।

इस जुलूस का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में सैकड़ों की संख्या में अकीदतमंद शहीद गंज से डलगेट वाली सड़क पर जुलूस की शक्ल में जा रहे हैं। उनके हाथों में मजहबी झंडे हैं। मौके पर सुरक्षा बल के जवान और प्रेस रिपोर्टरों को भी देखा जा सकता है। जुलूस में कुछ बुर्काधारी महिलाएँ भी शामिल थीं। प्रशासन द्वारा तय किए गए समय पर यह जुलूस शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ।

इस जुलूस की अनुमति देते हुए रखी गई शर्तों में उत्तेजक नारेबाजी, आतंकियों या उनके संगठनों की तस्वीरें, किसी भी स्तर पर बैन किया गया LOGO, कोई प्रतिबंधित झंडा आदि न ले जाना शामिल था। गौरतलब है कि साल 1989 में मोहर्रम के जुलूस में कुछ आतंकी घुस गए थे। उन्होंने देश विरोधी नारे लगाए थे। नारे लगाने वालों में यासीन मलिक, जावेद मीर और हमीद शेख का नाम सामने आया था। तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने तब एक आदेश जारी करते हुए शहीदगंज से डलगेट वाले मार्ग पर जुलूस निकालने पर पाबन्दी लगा दी थी। तब से यह प्रतिबंध कायम था।

Check Also

Indian Sikh pilgrims arrive in Pakistan to celebrate Guru Nanak Dev jayanti

Indian Sikh pilgrims arrive in Pakistan to celebrate Guru Nanak Dev jayanti

Over 2,550 Sikh pilgrims from India arrived at Gurdwara Nankana Sahib in Pakistan’s Punjab province …