दुनिया भर में हर रोज हजारों बच्चों की मृत्यु किसी न किसी बीमारी से सिर्फ इसलिए हो जाती है क्योंकि उन्हें सही समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता। इसके अलावा कई बच्चों की मृत्यु इसलिए भी हो जाती है, क्योंकि उन्हें सही मात्रा में खाना नहीं मिल पाता, जिससे वे कुपोषण का भी शिकार होते हैं। तुम भले ही अपने घर में खुद को सुरक्षित महसूस करते हो, लेकिन दुनिया भर में लाखों ऐसे बच्चे हैं, जो रोज किसी न किसी तरह की हिंसा और अपराध के शिकार होते हैं। ऐसे बच्चों के लिए यूनिसेफ हमेशा मदद के लिए तैयार रहता है।
यूनिसेफ का स्लोगन है ‘हर बच्चे के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, समानता, सुरक्षा और मानवता‘।
वर्ष 1946 में हुई स्थापना
‘यूनाइटिड नेशंस चिल्ड्रेंस फंड‘ यानी यूनिसेफ की स्थापना 11 दिसम्बर, 1946 को की गई तब इसका नाम ‘यूनाइटिड नेशंस चिल्ड्रेंस एमरजैंसी फंड‘ हुआ करता था। 1953 में नाम बदल कर ‘यूनाइटिड नेशंस चिल्ड्रेंस फंड’ कर दिया गया लेकिन इसके शॉर्ट फॉर्म (यूनिसेफ) में कोई बदलाव नहीं किया गया।
यूनिसेफ की स्थापना यूनाइटिड नेशंस के द्वारा की गई थी। इसका मुख्यालय न्यूयार्क में है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जहां हजारों की तादाद में लोग मारे गए थे, वहीं इसके बाद बड़ी संख्या में मारे गए लोगों के बच्चे दर-दर भटकने को मजबूर हो गए थे। ऐसे बच्चों को सहारा देने और उनके विकास के लिए यूनिसेफ ने काम करना शुरू किया था।
यह यूरोप, मध्य-पूर्वी देशों और मध्य चीन के क्षेत्रों में रहने वाले उन बच्चों और महिलाओं कौ हर तरीके से मदद करता था, जो या तो युद्धग्रस्त क्षेत्र में रह रहे थे अथवा युद्ध में तबाह हो चुके क्षेत्रों में बिना किसी सहारे के भटकने को मजबूर थे।
मिला है शांति का नोबेल पुरस्कार
आज यह बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और विकास के लिए दुनिया भर में काम करता है। ऐसे देश, जो आज भी गरीबी रेखा से नीचे हैं और जहां विकास सही तरीके से नहीं हुआ है, वहां यूनिसेफ ज्यादा सक्रिय है। अपने बेहतरीन कामों के लिए यूनिसेफ को वर्ष 1965 में शांति के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
यूनिसेफ का झंडा
यूनिसेफ का ध्वज नीले रंग का है, जिसमें ग्लोब और इसके साथ सफेद पत्तियों को दिखाया गया है। ग्लोब के केंद्र में एक मां को अपने बच्चे के साथ दिखाया गया है, ये पत्तियां शांति की प्रतीक हैं।
इस झंडे में ग्लोब और उसके अंदर मां और उसके बच्चे को दर्शाने का उद्देश्य यह था कि यूनिसेफ पूरी दुनिया में महिलाओं और बच्चों के लिए काम करेगा।
नीला और सफेद रंग यूनाइटिड नेशंस के ऑफिशियल कलर्स हैं, जिनका इस फ्लैग में इस्तेमाल किया गया है। फिलहाल यूनिसेफ 190 देशों में बच्चों के अधिकारों के लिए काम कर रहा है। तुम्हें जान कर हैरानी होगी कि यूनिसेफ के लगातार प्रयासों की वजह से हर दिन कम से कम तीन बच्चों की जिन्दगी बेहतर बनती है।
सबके लिए समान शिक्षा का प्रयास
दुनिया भर में कई ऐसे बच्चे हैं, जो चाहकर भी स्कूल नहीं जा पाते। विकासशील देशों, खासकर पूर्वी एशियाई देशों और होती हैं। कुछ आर्थिक तंगी की वजह से स्कूल नहीं जा पाते, तो कुछ आतंकवाद के साये में रहने के कारण ऐसा नहीं कर पाते। कई जगह तो आज भी लड़कियों को स्कूल पढ़ने के लिए नहीं भेजा जाता। ऐसे बच्चों कौ मदद के लिए भी यूनिसेफ काम करता है। यह आर्थिक सहयोग के साथ उन्हें शिक्षित भी करता है।
बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रयत्नशील
आज यूनिसेफ का नेटवर्क काफी विशाल हो चुका है और पूरी दुनिया में मौजूद इसके वॉलंटियर्स बच्चों को सुरक्षा और अधिकारों के लिए लगातार काम करते रहते हैं। वे गरीब बच्चों को खाना, कपड़े, दवाइयां आदि मुफ्त में उपलब्ध कराते हैं।
बच्चों को बीमारियों, जैसे टाइफस, पोलिया, खसरा आदि से बचाने के लिए उन्हें कई तरह के टीके बचपन में लगवाने पड़ते हैं। दुनिया भर के लगभग 40 प्रतिशत बच्चों का यूनिसेफ की मदद से टीककरण होता है।
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