ओलंपिक खेलों की रोचक बातें: रोचक तथ्य जो शायद आप नहीं जानते होंगे

ओलंपिक खेलों की रोचक बातें: रोचक तथ्य जो शायद आप नहीं जानते होंगे

ओलंपिक खेलों की रोचक बातें: आधुनिक ओलंपिक खेलों के जन्म के उपलक्ष्य में प्रत्येक बर्ष 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाता है। इसे खेलों से जुड़े स्वास्थ्य और सद्भाव के पहलू को मनाने के लिए भी आयोजित किया जाता है और यह अंतर्राष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति (आई.ओ.सी.) की स्थापना का प्रतीक भी है।

ओलंपिक खेलों की रोचक बातें

शुरुआत कब और किसने की: पहला ओलिम्पिक दिवस 23 जून, 1948 को मनाया गया, जिस अवसर पर आई.ओ.सी. के अध्यक्ष सिगफ्रिड एडस्ट्रॉम ने दुनिया भर के युवाओं को एक संदेश दिया था।

पहले ओलिम्पिक्स 776 ईसा पूर्व में हुए थे

मूल ओलिम्पिक्स की शुरुआत एक प्राचीन ग्रीक उत्सव के हिस्से के रूप में हुई थी, जिसमें आकाश और मौसम के ग्रीक देवता ज़ीउस का जश्न मनाया जाता था। पूरी प्रतियोगिता छह महीने तक चलती और इसमें कुश्ती, मुक्केबाजी, लंबी कूद, भाला फैंक, डिस्कस थ्रो और रथ दौड़ जैसे खेल शामिल थे।

1,500 से अधिक वर्षो तक नहीं हो पाए

रोमन शासक सम्राट थियोडोसियस 1 ने उत्सव के धार्मिक तत्व के कारण ग्रीक ओलिम्पिक्स पर प्रतिबंध लगा दिया उन्होंने ओलिम्पिक्स को एक बुतपरस्त त्यौहार माना, जिसका उनके ईसाई देश में कोई स्थान नहीं था इसलिए, 1896 तक ओलिम्पिक्स नहीं हो पाए, जब बैरन पियरे डी कुबॉर्टिन नामक व्यक्ति ने इनका पुनरुद्धार शुरू किया। उन्होंने इस नए आयोजन को “आधुनिक ओलिम्पिक्स” कहा और यह आज भी जारी है!

ओलिम्पिक मशाल

प्राचीन समय में, देवी हेस्टिया को श्रद्धांजलि के रूप में खेलों के दौरान एक लौ जलती थी। 1928 से यह परंपरा आधुनिक खेलों में भी जारी है, लेकिन वेदी की बजाय, एक विशेष मशाल में लौ जलती है।

मशाल की लौ हमेशा ग्रीस के ओलिम्पिया में सूर्य की रोशनी से जलाई जाती है, क्योंकि यहीं पर पहले ग्रीक खेल आयोजित किए गए थें।

फिर, इसे एक मशाल से दूसरी मशाल तक होते हुए दुनिया भर में घुमाया जाता है जिसके बाद यह ओलिम्पिक्स का आयोजन कर रहे मेजबान शहर में समाप्त होती है। प्रत्येक ओलिम्पिक के लिए नई मशालें डिजाइन कौ जाती हैं, और कई हजार प्रतियां बनाई जाती हैं।

पहले ग्रोष्मकालीन ओलिम्पिक खेलो में सिर्फ 14 देशों ने हिस्सा लिया था

पहले मेजबान शहर एथेंस में 11 यूरोपीय देशों की टीमों के साथ ऑस्ट्रेलिया, चिली और यू एस.ए. की टीमें शामिल हुई थीं। अब दुनिया के लगभग सभी देश ओलिम्पिक्स में भाग लेते हैं।

ओलिम्पिक प्रतीक का डिजाइन

ओलिम्पिक रिंग्स का निर्माण पहली बार 1913 में किया गया जो खेलों के आधुनिक संस्थापक बैरन पियरे डी कुबर्टिन द्वार बनाए गए डिजाइन से प्रेरित था।रिंग्स के 5 रंग सभी भाग लेने वाले देशों के झंडों पर पाए जाने वाले रंगों को दर्शाते हुए सभी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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वहीँ रिंग्स का एक-दूसरे से जुड़े होना अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और दुनिया भर के एथलीटों के एक साथ आने का प्रतिनिधित्व करता है।

1921-1948 तक कलाकारों ने भी भाग लिया

इन खेलों में, चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुकार, लेखक और संगीतकार सभी ने भाग लिया। वे कला के काम करके पदकों के लिए प्रतिस्पर्धा करते थे।

1912 तक पदक ठोस सोने से बने होते थे

हाल के खेलों में कुल मिलाकर लगभग 5,000 कांस्य, रजत और स्वर्ण पदक दिए गए हैं – बहुत अधिक धातु! इसलिए ठोस सोने की बजाय, प्रथम स्थान वाले पदक अब 6 ग्राम सोने की परत से ढके होते हैं।

शीतकालीन ओलिम्पिक्स

सबसे पहले, शीतकालीन ओलिम्पिक्स ग्रीष्मफालीन ओलिम्पिक के साथ ही आयोजित किए गए लेकिन आज ये ग्रीष्षकालीन ओलिम्पिक के दो साल बाद होते हैं।

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