दीप्ति जीवनजी: तेलंगाना की प्रेरणादायक पैरा एथलीट

दीप्ति जीवनजी: तेलंगाना की प्रेरणादायक पैरा एथलीट

दीप्ति जीवनजी (Deepthi Jeevanji) एक प्रेरणादायक पैरा एथलीट हैं जिन्होंने पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में ब्रॉन्ज़ मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने मंगलवार (03 सितंबर 2024) को पैरालंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया। मूल रूप से तेलंगाना की निवासी, दीप्ति ने शुरुआत में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनकी मेहनत और आत्मविश्वास ने उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुँचाया।

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दीप्ति महिलाओं के 400 मीटर T20 वर्ग में कांस्य के साथ पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली बौद्धिक रूप से कमजोर भारतीय एथलीट बन गईं। 20 वर्षीय भारतीय पैरा-एथलीट ने 55.82 सेकेंड में रेस को समाप्त किया। वह यूक्रेन की यूलिया शुलियार और तुर्की की आयसर ओन्डर से पीछे रहीं, जिन्होंने क्रमशः 55.16 और 55.23 सेकेंड में फिनिश लाइन को पार किया। T20 वर्ग बौद्धिक अक्षमता वाले एथलीटों के लिए आरक्षित है।

Name: दीप्ति जीवनजी (Deepthi Jeevanji)
Born: 27 September 2003 – Kalleda Village, Warangal District, Telangana, India
Sport: Paralympic Athlete [Disability class: T20] T20 is a disability sport classification for disability athletics in track and jump events. It broadly covers athletes with intellectual disabilities.
Nationality: Indian
Parent: Jeevanji Yadhagiri (Father), Jeevanji Dhanalaxmi (Mother)
Medal Record:
  • Paralympic Games: 2024 Paris – 400 m T20 [Bronze Medal]
  • Asian Para Games: 2022 Hangzhou – 400 m T20 [Gold Medal]
  • World Championships: 2024 Kobe – 400 m T20 [Gold Medal]

पैरालंपिक खेलों में प्रतिस्पर्धा करने वाली इस श्रेणी में भारत की पहली एथलीट दीप्ति को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो उनके संचार और समझ कौशल को प्रभावित करती हैं। तेलंगाना के एक छोटे से गाँव में जन्मी दीप्ति को शुरुआती जीवन में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनके माता-पिता को कहा गया कि बच्ची मानसिक रूप से अक्षम है, इसलिए उसे छोड़ देना चाहिए। हालाँकि माता-पिता ने उन्हें छोड़ने की जगह पूरी ताकत से उनका साथ दिया।

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है। वह मौजूदा पैरा वर्ल्ड चैंपियन और 2023 एशियन पैरा गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता हैं। वर्ल्ड चैंपियनशिप में, उन्होंने 55.07 सेकेंड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, जिसे ओन्डर ने सोमवार को तोड़ दिया, जब उन्होंने हीट में 54.96 सेकेंड का समय दर्ज किया। हालाँकि पैरालंपिक्स में वो अपना बेस्ट प्रदर्शन करने से थोड़ा पीछे रही, लेकिन वो बेस्ट प्रदर्शन दोहरा पाती, तो गोल्ड मेडल जीत जाती।

दीप्ति जीवनजी का यह मेडल सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि देशभर के उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह जीत उनके संघर्ष और दृढ़ संकल्प की कहानी बताती है, जो उन्हें सफलता तक ले गया। उनकी सफलता के पीछे उनके कोच और परिवार का भी अहम योगदान है, जिन्होंने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। दीप्ति का मानना है कि आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम से कोई भी चुनौती कठिन नहीं रहती।

पत्रकार शिव अरूर ने उनके बारे में प्रेरणादाई तथ्यों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है। शिव अरूर के मुताबिक:

  • दीप्ति जीवनजी का जन्म साल 2003 में हुआ, वो मानसिक रूप से दिव्यांग पैदा हुई। उनके माता-पिता को उन्हें ‘छोड़ने’ की सलाह दी गई।
  • साल 2016 में माता-पिता ने उनके एथलेटिक्स के लिए ज़मीन बेची और ट्रेनिंग से पीछे नहीं हटे।
  • साल 2022 में दीप्ति जीवनजी ने एशियाई पैरा गेम्स में गोल्ड मेडल जीता।
  • इसी साल मई 2024 में दीप्ति विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने में सफल रही और मौजूदा विश्व चैंपियन हैं।
  • जून 2024 में दीप्ति ने अपने माता-पिता की वो जमीन वापस खरीद ली, जो उनके लिए माता-पिता ने साल 2016 में बेच दी थी।
  • और अब सितंबर 2024 में वो पेरिस पैरालंपिक्स में बॉन्ज मेडलिस्ट बन गई हैं। मानसिक दिव्यांगों वाली श्रेणी में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनने का गौरव

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