अद्भुत मेंढक

अद्भुत मेंढक: जंतु विज्ञान का स्कूल प्रोजेक्ट जिसने सब को चौका दिया

मोंटी और उसकी बहन सोनी एक ही कक्षा में पढ़ते थे। उनकी जंतु विज्ञान में बहुत गहरी रुचि थी।

कक्षा 10 की विज्ञान कौ अध्यापिका ने सभी बच्चों को जंतु विज्ञान पर एक प्रोजैक्ट बनाने के लिए कहा।

“मोंटी हम दोनों मिलकर एक ही प्रोजैक्ट बना लेते हैं… मैडम से मैंने पूछ लिया है” सोनी ने कहा।

“वह तो ठीक है… लेकिन कौन से जीव पर प्रोजैक्ट बनाएं?” मोंटी ने कहा।

अद्भुत मेंढक: गोविन्द भारद्वाज की बाल-कहानी

“हम दोनों एक ऐसे जंतु पर बनाएंगे, जिसकी जानकारी आसानी से उपलब्ध भी हो जाए… और कोई उस पर काम भी न करे” सोनी ने कहा।

मोंटी काफी गहन सोच-विचार कर रहा था कि अचानक उसको एक मेंढक नजर आया। “आ गया आइडिया” मोंटी ने चिल्ला कर कहा।

“कौन-सा आइडिया और कैसा आइडिया?” सोनी ने पूछा।

“हम दोनों मेंढक की प्रजातियों पर एक शानदार प्रोजैक्ट तैयार करेंगे” मोटी ने मेंढक की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“शानदार आइडिया मोंटी” सोनी ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा।

अगले दिन से वे दोनों मेंढक पर प्रोजैक्ट तैयार करने में जुट गए।

“मोंटी तुम्हें पता है, दुनिया में मेंढक की 5000 से अधिक प्रजातियां हैं, इतनी प्रजातियों के बारे में लिखने में तो हम बूढ़े हो जाएंगे” सोनी ने चिता व्यक्त करते हुए कहा।

“अरे सारी प्रजातियों की जानकारी नहीं लेनी… मुख्य-मुख्य प्रजातियों का विवरण दे देंगे” मोटी ने कहा।

“अपने शहर से थोड़ी ही दूरी पर एक दलदली जंगल है… वहां हमको कुछ नई प्रजातियों के मेंढक मिल सकते हैं” सोनी ने कहा।

“वाह तुम तो बड़ी होशियार हो। निश्चित रूप में वहां हमें नई किस्म के मेंढक मिल जाएंगे और दलदली जंगल में घूमने का अवसर भी मिल जाएगा। वैसे तो हमें मम्मी-पापा कहीं जाने भी नहीं देते” मोटी ने मुस्कुराते हुए कहा।

अगले दिन रविवार था। मोटी और सोनी अपने मम्मी-पापा की इजाजत लेकर दलदली जंगल की ओर रवाना हो गए। एक मोटा-सा लैंस हाथ में लेकर सोनी और मोटी इधर-उधर मेंढकों की प्रजातियां ढूंढ रहे थे।

“अरे मोटी देख… कितना विचित्र मेढक” सोनी ने लैंस से देखते हुए कहा।

“अरे यह तो बिल्कुल पीले रंग का है… ऐसा मेंढक तो हमने कभी देखा नहीं” मोंटी ने बड़े आश्चर्य से कहा, “हम इसे थैले में बंद करके स्कूल ले जाएंगे और अपनी मैडम को दिखाएंगे।”

अगले दिन सोमवार था। मोटी और सोनी समय पर स्कूल पहुंचे।

“मोटी… तुमने प्रोजैक्ट पर काम शुरू कर दिया?” मैडम ने पूछा।

“हां मैडम… हमने मेंढकों की प्रजातियों पर काम शुरू किया है, उसी सिलसिले में आपको हम कुछ दिखाना चाहते हैं” मोटी ने कहा।

“ऐसा क्या लाये हो… जो मुझे दिखाना चाहते हो… चलो लैब में चलते हैं” मैडम ने लैब की ओर चलते हुए कहा।

लैब में पहुंच कर मोंटी ने जैसे ही थैले का मुंह खोला। पीले रंग का एक मेंढक उछल कर बाहर आ गया।

“अरे! यह तो बहुत खतरनाक मेंढक है मोंटी, तुम इसे कहां से पकड़ लाए?” मैडम लगभग चिल्ला पड़ी।

“मैम दलदली जंगल से… कल हम दोनों भाई-बहन वहां मेंढकों कौ प्रजातियों की जानकारी जुटाने के लिए गए थे” मोटी ने कहा।

“यह गोल्डन पॉइजन फ्रॉग है। यह देखने में जितना सुन्दर है, उतना ही जहरीला है। इसको छूने मात्र से भी मनुष्य की मृत्यु हो सकती है” मैडम ने कहा।

मैडम ने आगे कहा, “तुम्हें पता होना चाहिए कि इसके जहर से बड़े-बड़े जीव-जंतुओं के साथ-साथ मनुष्य की जान जा सकती है इसे हम आधुनिक तकनीक से एक जार में बंद करके रखेंगे लेकिन सावधानी पूरी रखनी पड़ेगी । तुम्हारे इस साहस के आगे तो मैं नतमस्तक हूं।”

मोंटी मन ही मन बुदबुदाया, “हमें मालूम होता कि यह मेंढक इतना जहरीला है तो हम क्यों लाते? यह सब तो अनजाने में हो गया।”

वहां मौजूद सभी बच्चे पीले रंग के अद्भुत जहरीले मेंढक को देखकर बड़ा ताज्जुब कर रहे थे।

~ ‘अद्भुत मेंढक‘ story by ‘गोविन्द भारद्वाज‘, अजमेर

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