Beti padhao - Desh badhao

अफसोस

प्रीति ओर मनोहर अपने जीवन से काफी संतुष्ठ थे। दो बेटिया मालती ओर लता ओर उसके 10 साल के लंबे इंतजार के बाद ओर कुछ प्रयत्नों के बाद जन्मा उनका प्यारा अभिजीत!

बड़े लाड प्यार से उन्होंने अपने बेटे अभिजीत को बड़ा किया था। अच्छी स्कूल मे उसे पढ़ाया पेट काट-काट कर अपनी हैसियत से भी ऊंचे कॉलेज मे अभिजीत को दाखिला दिलवाया। अभिजीत भी होशियार था। पढ़लिख कर वो एक अच्छी कंपनी मे नोकरी पर लगा। बड़ी बेटी लता की शादी हो गई… मझली बेटी कोमल की भी शादी एक अच्छे परिवार मे हुई लड़का वॉचमैन था पर सुशील था संस्कारी था बस ओर क्या चाहिए? अभिजीत को भी अच्छी नोकरी लगते ही, अच्छे रिश्ते भी आने लगे प्रीति ओर मनोहर ने ऐसे ही एक अच्छे रिश्ते पर मोहर लगाई ओर फूल सि कोमल आशा को अपनी बहु बनाकर लाये। बहु भी सुशील ओर संस्कारी थी। हंसी खुशी से सब चल रहा था। पर जेसे भगवान को यह मंजूर न था वेसे, लता के पति की एक सड़क दुर्घटना मे अचानक मोत हो गई। अचानक पूरे परिवार की जवाबदारी लता पर आ गई। परिस्थिति विकट थी की तभी एक दिन अचानक मनोहर के हाथो मे एक लेटर आया। मनोहर ने लेटर को पढ़ा उसे विश्वास नही हुवा उन्होंने बार बार लेटर को पढ़ा। तभी अभिजीत उनके सामने आया। उसे देखते ही मनोहर ने पूछा “अभिजीत ये क्या है तुम अपना तबादला शहर मे करवानी की तजवीज मे हो? ओर हमे बताया भी नही?

अभिजीत ने रूखे स्वर मे कहा “क्या बताना पिताजी, आप तो यह छोटासा गॉव छोड़ने के लिए तैयार होते ही नहीं। शहर मे काफी अच्छा जीवन हम जी सकते हैं। कल को मेरे बच्चे भी बड़े होंगे उन्हें अच्छी पढ़ाई लिखाई यहा रहकर नहीं मिल सकेगी
प्रीति जो चुपचाप अब तक उनकी बाते सुन रही थी वो बोली “तुम भी तो इसी गॉव मे पढ़े हो। ओर बड़े आफिसर बन ही गए न बेटा? क्या खराबी है गॉव मे?

अभिजीत ने मुस्कुरा कर कहा “मैं अपनी लगन, मेहनत ओर होशियारी से ऑफिसर बना अगर शहर मे अच्छी पढ़ाई लिखाई मिली होती तो आज मे डॉक्टर या इंजीनर होता। बस पिताजी मेरे तबादले की मंजूरी मुझे मिल गई है। बस अगले हफ्ते ही हम शहर को जा रहे है। कंपनी से मुझे रहने के लिए घर भी मिल गया है।

मनोहर ने हताश स्वर मे कहा “बेटा जेसी तेरी मर्जी। तेरी खुशी मे ही हमारी खुशी है। तु कहेगा तो हम तेरे साथ…

बात को काटते अभिजीत ने कहा “पिताजी मैं ओर आशा ही शहर मे जा रहे है। आप लोग शहर के तोर तरीकों से अनजान है। आप को वहा नही जमेगा।

मनोहर ने हताशा से कहा हमे नही जमेगा? की बेटे तुम्हे नही जमेगा? यह अनपढ़ गवार माँ बाप तेरे शहर मे तेरी कथित इम्प्रेशन को खराब करेंगे यही चिंता है न तुम्हे?

छोटी बेटी चुपचाप खम्बे की आड मे उनकी बाते सुन रही थी बड़ी बेटी अभी अभी अपने ससुराल से लौटी थी। उसने बेग रखते पूछा “क्या हुआ पिताजी?

मनोहर ने हंस कर कहा “कुछ नही तेरा भाई बड़ा हो गया।”

दो हफ़्तों के बाद अभिजीत ओर आशा शहर की ओर निकल पड़े। पीछे प्रीति ओर मनोहर अपने एकलौते बेटे को आंसू भरी आंखो से देखते रहे। उन्हें यु रोता बिलखता देख बड़ी बेटी ने उन्हें संभालते बोला “माँ चिंता मतकर कोई भी तकलीफ होगी मुझे याद कर लेना मैं तुम्हारे सामने होउंगी। तभी छोटी बेटी ने पास आकर कहा ओर माँ मैं भी तो हूँ तुम्हारी देखभाल के लिए, फिर किस बात का अफसोस है?

प्रीति ने आंखो मे आये आंसूओ को पोछते कहा “अफसोस तो रहेगा बेटा, जिंदगी भर रहेगा। इस बात का नहीं की अभिजीत हमे छोड़कर गया!

बड़ी बेटी ने आश्चर्य से कहा “तो किस बात का अफसोस है माँ?”

प्रीति ने हताशा से कहा “तुम दोनो अभिजीत से ज्यादा होशियार थी। उससे बेहतर नंबर लाती थी। पर अभिजीत लड़का था उसे बेहतर पढ़ाने लिखाने के लिए हमने तुम्हारा स्कूल जल्दी छुड़वाया सोचा लड़कियों को पढ़ा-लिखाके क्या फायदा? आज अगर तुम पढ़ी लिखी होती तो अपने पेरो पे खड़ी होती! लता को अपनी पति के मृत्यु के पश्च्यात इतनी तकलीफ सहन न करनी पड़ती। कोई अच्छी जगह तुम्हे नोकरी मिलती ओर अपने बच्चो का अच्छे से खयाल रख सकती। पति गुजरने के बाद जो मुश्किलें तुम सह रही हो वो शायद तुम्हे सहनि न पड़ती। कोमल के भी अच्छे रिश्ते सिर्फ कम पढ़ाई की वजह से टूटे न होते! ओर पति की आर्थिक हालत अगर नाजुक होती तो भी वह अच्छी नोकरी कर अपने पति को आर्थिक रूप से मदद रूप होती!

तुम काबिल हो सकती थी पर हमने तुम्हे मोका नहीं दिया। ओर अभिजीत को हमने हर तरह का मौका दिया, पर वो इसके काबिल न था! बेटा-बेटीयो के इस भेदभाव का अफसोस हमे जिंदगी भर रहेगा। ओर इसका परिणाम भी हमे ही भुगतना पड़ेगा। ओर आज हम इतनी लाचारी महसूस नही करते, तुम्हारे पे बोझ न बनते! हमे यकीन है तुम हमारी अच्छे तरीके से देखभाल करती। पर कहते है न जेसी करनी वैसी भरनी!

लता ओर कोमल ने आँख मे आंसू के साथ कहा “माँ हम अब भी तुम्हारा ख्याल रंखेंगे। आधी रोटी खाएंगे पर तुम्हे तकलीफ नही होने देंगे।

अभिजीत की गाड़ी अब दिखाई देनी बंध हुई थी। प्रीति ओर मनोहर के आंखो मे अब भी आंसू थे शायद अफसोस के हो!

बोध: बेटी पढ़ावो देश बढ़ावो…

~ प्रशांत सुभाषचंद्र साळुंके

About Prashant Subhashchandra Salunke

कथाकार / कवी प्रशांत सुभाषचंद्र साळूंके का जन्म गुजरात के वडोदरा शहर में तारीख २९/०९/१९७९ को हुवा. वडोदरा के महाराजा सर सयाजीराव युनिवर्सिटी से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की. अभी ये वडोदरा के वॉर्ड २२ में भाजपा के अध्यक्ष है, इन्होने सोश्यल मिडिया पे क्रमश कहानी लिखने की एक अनोखी शुरुवात की.. सोश्यल मिडिया पे इनकी क्रमश कहानीयो में सुदामा, कातील हुं में?, कातील हुं में दुबारा?, सुदामा रिटर्न, हवेली, लाचार मां बाप, फिरसे हवेली मे, जन्मदिन, अहेसास, साया, पुण्यशाली, सोच ओर William seabrook के जीवन से प्रेरित कहानी “एक था लेखक” काफी चर्चित रही है. इसके अलवा बहोत सी छोटी छोटी प्रेरणादायी कहानीया भी इन्होने सोश्यलमिडिया पे लिखी है, वडोदरा के कुछ भुले बिसरे जगहो की रूबरू मुलाकात ले कर उसकी रिपोर्ट भी इन्होने सोश्यल मिडिया पे रखी थी, जब ये ६ठी कक्षा में थे तब इनकी कहानी चंपक में प्रकाशित हुई थी, इनकी कहानी “सब पे दया भाव रखो” वडोदरा के एक mk advertisement ने अपनी प्रथम आवृती में प्रकाशित की थी, उसके बाद सुरत के साप्ताहिक वर्तमानपत्र जागृती अभियान में इनकी प्रेरणादायी कहानिया हार्ट्स बिट्स नामक कोलम में प्रकाशित होनी शुरू हुई, वडोदरा के आजाद समाचार में इनकी कहानी हर बुधवार को प्रकाशित होती है, वडोदरा के क्राईम डिविजन मासिक में क्राईम आधारित कहानिया प्रकाशित होती है, 4to40.com पे उनकी अब तक प्रकाशित कहानिया बेटी का भाग्य, सेवा परमो धर्म, आजादी, अफसोस, चमत्कार ऐसे नही होते ओर मेरी लुसी है. लेखन के अलावा ये "आम्ही नाट्य मंच वडोदरा" से भी जुडे है, जिसमें "ते हुं नथी" तथा "नट सम्राट" जेसे नाटको में भी काम किया है, इनका कहेना है "जेसे शिल्पी पत्थर में मूर्ती तलाशता है, वैसे ही एक लेखक अपनी आसपास होने वाली घटनाओ में कहानी तलाशता है", इनका इमेल आईडी है prashbjp22@gmail.com, आप फेसबुक पे भी इनसे जुड सकते है.

Check Also

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: This day encourages critical thinking, dialogue, and intellectual curiosity, addressing global challenges …

13 comments

  1. Nice very… good story

  2. Beti padavo… desh badhavo nice message

  3. badhiya kahani

  4. बेहतरीन कहानी

  5. बोध: बेटी पढ़ावो देश बढ़ावो

  6. nainesh kanasara

    4to40.com thanks for publish such a nice story

  7. Rula diya so nice story

  8. Rula diya is story ne waah… kya kahani he..

  9. Very nice story

  10. Very nice story

  11. Mid blowing story

  12. Nice story

  13. Prashant Subhashchandra Salunke

    #betibachavobetipadhavo