अरे जा रे हट नटखट - नवरंग

अरे जा रे हट नटखट: फिल्म नवरंग से लोकप्रिय होली गीत

चि: धागिन धिनक धिन
धागिन धिनक धिन
धागिन धिनक धिन

अटक-अटक झटपट पनघट पर
चटक मटक इक नार नवेली
गोरी गोरी ग्वालन की छोरी चली
चोरी चोरी मुख मोरी मोरी मुसकाये अलबेली
कँकरी गले में मारी कंकरी कन्हैया ने
पकरी बाँह और की अटखेली
भरी पिचकारी मारी
स र र र र र र र र र
भोली पनिहारी बोली

आ: स र र र र र र र र र
(अरे जा रे हट नटखट
ना छू रे मेरा घूँघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे) -२
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे

म: स र र र र र र र र र
आया होली का त्योहार
उड़े रंग की बौछार
तू है नार नखरेदार मतवाली रे
आज मीठी लगे है तेरी गाली रे

आ: ओ
हाँ हाँ हाँ

(हो
तक तक ना मार पिचकारी की धार) -२
कोमल बदन सह सके ना ये मार
तू है अनाड़ी बड़ा ही गँवार
कजरे में तूने अबीर दिया डार
तेरी झकझोरी से बाज़ आयी होरी से
चोर तेरी चोरी निराली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे

अरे जा रे हट नटखट
ना छू रे मेरा घूँघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे

म: (हो
धरती है लाल आज अम्बर है लाल) -२
उड़ने दे गोरी गालों का गुलाल
मत लाज का आज घूँघट निकाल
दे दिल की धड़कन पे धिनक धिनक ताल
झाँझ बजे शँख बजे
संग में म्रिदंग बजे
अंग में उमंग खुशियाली रे
आज मीठी लगे है तेरी गाली रे

आ: अरे जा रे हट नटखट
ना छू रे मेरा घूँघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे

male को: अर र र र र र
female को: अर र र र र र
अरे जा रे हट नटखट
ना छू रे मेरा घूँघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे

male को: आया होली का त्योहार
उड़े रंग की बौछार
तू है नार नखरेदार मतवाली रे
आज मीठी लगे है तेरी गाली रे

male female को:
अरे जा रे हट नटखट
ना छू रे मेरा घूँघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे

∼ भरत व्यास

चित्रपट : नवरंग (1958)
गीतकार : भरत व्यास
संगीतकार : सी. रामचन्द्र
गायक : आशा भोंसले, महेंद्र कपूर, सी. रामचन्द्र
सितारे : महिपाल, संध्या

Navrang is a 1959 Hindi film Bollywood movie by Shantaram Rajaram Vankudre (V. Shantaram) . The film noted for its dance sequences with lead actress Sandhya and music by C. Ramchandra, while playback singer Mahendra Kapoor made his singing debut with the hit Aadha Hai Chandrama Raat Aadhi.

Diwakar is a poet and loves his wife Jamuna on everything. But Jamuna does not agree that Diwakar lives out of sheer poetry in a fantasy world and the real world less and less responsible. Diwakar goes so far that he is a fantasy woman in his wife’s body creates what he calls Mohini. Diwakar will soon become a recognized poet and Jamuna gives birth to a boy. Unfortunately, the happiness does not last long: Diwakar loses his job because of a critical songs against the British. Now he can no longer feed his sickly father nor his son, who is starving. All this makes Jamuna angry, but above all Diwakars growing obsession with Mohini.

As Jamuna decides to live apart from Diwakar, it is destroyed internally and no longer capable of proof. Jamuna slowly realizes that she can not live without Diwakar and forgives him.

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