उसे कहते हैं ग्राम सभा।
जहां बात-बात पर लात चले,
उसे कहते हैं विधानसभा।
जहां एक कहे और सब सुनें,
उसे कहते हैं शोक सभा।
जहां सब कहें और कोई न सुने,
उसे कहते हैं लोकसभा।
जहां बात-बात पर लात चले,
उसे कहते हैं विधानसभा।
जहां एक कहे और सब सुनें,
उसे कहते हैं शोक सभा।
जहां सब कहें और कोई न सुने,
उसे कहते हैं लोकसभा।
अनोखी दोस्त: देवांश के दादा जी और दादी जी गांव में जमीदार थे। एक दिन …