पानी में हो गयी वो गीली।
गीली होकर लगी कांपने,
ऑछी-ऑछी लगी छींकने।
मैं फिर बोली कुछ तो सीख,
बिना रुमाल के कभी ना छींक।
गीली होकर लगी कांपने,
ऑछी-ऑछी लगी छींकने।
मैं फिर बोली कुछ तो सीख,
बिना रुमाल के कभी ना छींक।
National Philosophy Day: This day encourages critical thinking, dialogue, and intellectual curiosity, addressing global challenges …