क्यों ऐसा मन में आता है – दिविक रमेश

Shiveringजब भी देखूं कोई ठिठुरता,
मन में बस ऐसा आता है।
ढाँपू उसको बन कर कम्बल,
सोच के मन खुश हो जाता है।

मत बनूँ बादाम या पिस्ता,
मूंगफली ही मैं बन जाऊं।
जी में तो यह भी आता है,
कड़क चाय बन उनको भाऊं।

बन कर थोड़ी धुप सुहानी,
उनके आँगन में खिल जाऊं।
गरम-गरम कर उसके तन को,
मन ही मन थोड़ा मुस्काऊं।

Whyजहाँ न चूल्हे जल पाते हों,
उन चूल्हों की आग बनूँ मैं।
क्यों ऐसा मन में आता है,
रोटी सब्जी दाल बनूँ मैं।

जी चाहता है जी चाहता है॥

जिनके पास नहीं है टी वी,
उनके घर टी वी बन जाऊं।
पढ़ना लिखना जिन्हे ना आता,
पढ़ना लिखना मैं बन जाऊं।

जी चाहता है जी चाहता है॥

Teachingकंप्यूटर बन उनका जीवन,
कंप्यूटर वालों सा कर दूँ।
जी चाहता है बन कर खुशियाँ,
सब खाली घर उनसे भर दूँ।

जी चाहता है जी चाहता है॥

∼ डॉ. दिविक रमेश

Check Also

Sikhism Coloring Pages

Sikhism Coloring Pages For Students

Sikhism Coloring Pages: Sikhism was founded in the 16th century in the Punjab district of …