कवि कभी मरा नहीं करता – गगन गुप्ता ‘स्नेह’

Poet Never Diesकवि कभी मरा नहीं करता
सो जाते हैं अहसास
मातृप्राय हो जाते हैं वो तंतु
जो सोचा करते हैं
सूरज से आगे की
सागर से नीचे की
वो सोच, जिसने मेघदूत को जन्म दिया
वो कभी मरा नहीं करती
मर जाते है वो अरमान
जब ध्वस्त होते हैं सपनों के किले
कवि कभी मरा नहीं करता
वह ज़िंदा रखता है अपने आप को
वह जीता रहता है
वह संघर्ष करता रहता है
एक नयी दुनिया के अरमान संजोए
कवि कभी मरा नहीं करता।

∼ गगन गुप्ता ‘स्नेह’

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