हमराही – राजीव कृष्ण सक्सेना

Old Coupleओ मेरे प्यारे हमराही,
बड़ी दूर से हम तुम दोनों
संग चले हैं पग पर ऐसे,
गाडी के दो पहिये जैसे।

कहीं पंथ को पाया समतल
कहीं कहीं पर उबड़-खाबड़,
अनुकम्पा प्रभु की इतनी थी,
गाडी चलती रही बराबर।

कभी हंसी थी किलकारी थी
कभी दर्द पीड़ा भारी थी,
कभी कभी थे भीड़-झमेले
कभी मौन था, लाचारी थी।

रुके नहीं पथ पर फिर भी हम
लिये आस्था मन में हरदम,
पग दृढ़तर होते जाते हैं
पथ पर ज्यों बढ़ते जाते हैं।

इतना है विश्वास प्रिये कि
बादल यह भी छंट जाएगा,
सफर बहुत लंबा है लेकिन
संग तुम्हारे कट जाएगा।

∼ राजीव कृष्ण सक्सेना

About Rajiv Krishna Saxena

प्रो. राजीव कृष्ण सक्सेना - जन्म 24 जनवरी 1951 को दिल्ली मे। शिक्षा - दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में। एक वैज्ञानिक होने पर भी प्रोफ़ेसर सक्सेना को हिंदी सहित्य से विशेष प्रेम है। उन्होंने श्रीमद भगवतगीता का हिंदी में मात्राबद्ध पद्यानुवाद किया जो ''गीता काव्य माधुरी'' के नाम से पुस्तक महल दिल्ली के द्वारा प्रकाशित हुआ है। प्रोफ़ेसर सक्सेना की कुछ अन्य कविताएँ विभिन्न पत्रिकाओं मे छप चुकी हैं। उनकी कविताएँ लेख एवम गीता काव्य माधुरी के अंश उनके website www.geeta-kavita.com पर पढ़े जा सकते हैं।

Check Also

National Endangered Species Day: Date, History, Celebration

National Endangered Species Day: Date, History, Celebration

National Endangered Species Day: It is observed every year on the third Friday in May …