दादी माँ – मीनल दधीच ‘मींटू’

दादी माँ: Short Poem on Grandmother in Hindi Language

दादी माँ: मेरी दादी के सबसे ज़्यादा करीब मैं हूँ। मेरे घर पर नौ सदस्य है। जिनमे माँ, पिताजी, मैं और मेरी बहन, चाचा – चाची और उनके दो बच्चे यानी दो भाई और दादी है, हम दो मंज़िला इमारत में रहते है। दादी सबसे प्यारी है। मैं अपने दादी से बेहद प्यार करता हूँ। वह सभी का समान रूप से ध्यान रखती है। जब खाली समय होता है, तो वह मेरे साथ खेलती है। मुझे पापा के डाट से बचाती है। मैं, मेरी बहन और दो छोटे भाई सभी दादी के साथ  बगीचे में खेलते है। दादी हमेशा खुश मिज़ाज़ रहती है।

दादी माँ: मीनल दधीच ‘मींटू’ [Poem 1]

माँ से प्यारी दादी माँ,
घर की मुखिया दादी माँ।

बाहर से झगड़ा कर आते,
तब गोद में छुपाती दादी माँ।

मम्मी जब पीटने आती,
तब बचाती दादी माँ।

अपने हिस्से की चीजें,
हमें खिलाती दादी माँ।

रात को बिस्तर में बिठाकर,
कहानी सुनाती दादी माँ।

औरत-मर्द सब बाहर जाते,
घर में रहती दादी माँ।

मंदिर जैसे भगवान बिना,
घर जैसे बिन दादी माँ।

∼ Poem by ‘मीनल दधीच ‘मींटू’

Dadi Maa: शुभम यादव [Poem 2]

दादी मेरी जान, तू ही मेरा जहान
तुझसे मिलके लगे ऐसा,
जैसे, मिले मुझे भगवान।।

अरे! इक तू ही तो है,जो
मुझे सबके डाँटो से बचाती है,
क्या बाबा,क्या पापा,क्या चाचा, जिनसे तू
मेरे लिये कितने झूठ बोल जाती है।
तू ही मेरी धरती तू ही मेरा आसमान
दादी तू मेरी जान, तू ही मेरा जहान।।

सब तुझे भी डाँटते हैं, कहते हैं,
तू ही इसे सिर पे चढ़ाती है।
तू ही इसकी सारी गलतियां छिपाती है, फिर भी
उन्हें अनसुना कर, तुझे फिक्र रहती, कि
मेरे होंठों पे सदा रहे मुस्कान,
दादी तू मेरी जान, तू ही मेरा जहान।।

पापा कहते हैं, दादी मेरा वकालत करती है,
सही बात है, इक वही तो है,
जो सारे मुश्किलों से जमानत करती है,
दादी माँ, मुझे बनना है, तेरा अभिमान,
दादी मेरी जान, तू ही मेरा जहान।
तुझसे मिलके लगे ऐसा,
जैसे मिले मुझे भगवान।।

~ Poem by ‘शुभम यादव

वह हमेशा माँ और चाची को रसोई में मदद करती है। दादी की एक छड़ी है और आँखों पर चश्मा लगाती है। हम सभी उन्हें बहुत प्यार करते है। मेरी दादी बहुत सहनशील है और हर प्रकार के माहौल में अपने आपको ढाल लेती है।

वह भगवान् पर अटूट विश्वास रखती है। मेरी दादी 85 साल की है फिर भी वह कोई भी बात भूलती नहीं है। इस उम्र में भी उनकी यादाश्त बहुत अच्छी है। दादी सारे काम बड़े फुर्ती के साथ करती है। कहानी और धार्मिक पुस्तकें पढ़ने का उन्हें बड़ा शौक है।

वे जल्द अपना काम समाप्त करने के पश्चात गायत्री मंत्र पढ़ती है। हम सब जब घर पर होते है, तब एक साथ अपना भोजन करते है और पारिवारिक समय बिताते है। यह सब दादी जी की वजह से संभव हो पाया है। दादी जी अपने जीवन के मनोरंजक घटनाओ को साझा करती है। इससे सभी का मन प्रसन्न रहता है।

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