आज मानव का सुनहला प्रात है - भगवती चरण वर्मा

आज मानव का सुनहला प्रात है – भगवती चरण वर्मा

आज मानव का सुनहला प्रात है,
आज विस्मृत का मृदुल आघात है
आज अलसित और मादकता भरे
सुखद सपनों से शिथिल यह गात है

मानिनी हँसकर हृदय को खोल दो,
आज तो तुम प्यार से कुछ बोल दो।

आज सौरभ में भरा उच्छ्‌वास है,
आज कम्पित भ्रमित सा बातास है
आज शतदल पर मुदित सा झूलता,
कर रहा अठखेलियाँ हिमहास है

लाज की सीमा प्रिये, तुम तोड दो
आज मिल लो, मान करना छोड दो।

आज मधुकर कर रहा मधुपान है,
आज कलिका दे रही रसदान है
आज बौरों पर विकल बौरी हुई,
कोकिला करती प्रणय का गान है

यह हृदय की भेंट है, स्वीकार हो
आज यौवन का सुमुखि, अभिसार हो।

आज नयनों में भरा उत्साह है,
आज उर में एक पुलकित चाह है
आज श्चासों में उमड़कर बह रहा,
प्रेम का स्वच्छन्द मुक्त प्रवाह है

डूब जायें देवि, हम तुम एक हो
आज मनसिज का प्रथम अभिषेक हो।

∼ भगवती चरण वर्मा

About Bhagwati Charan Verma

भगवती चरण वर्मा (30 अगस्त 1903 - 5 अक्टूबर 1988) हिन्दी के साहित्यकार थे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1971 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। भगवती चरण वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शफीपुर गाँव में हुआ था। वर्माजी ने इलाहाबाद से बी॰ए॰, एल॰एल॰बी॰ की डिग्री प्राप्त की और प्रारम्भ में कविता लेखन किया। फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात हुए। 1933 के करीब प्रतापगढ़ के राजा साहब भदरी के साथ रहे। 1936 के लगभग फिल्म कारपोरेशन, कलकत्ता में कार्य किया। कुछ दिनों ‘विचार’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन-संपादन, इसके बाद बंबई में फिल्म-कथालेखन तथा दैनिक ‘नवजीवन’ का सम्पादन, फिर आकाशवाणी के कई केंन्दों में कार्य। बाद में, 1957 से मृत्यु-पर्यंत स्वतंत्न साहित्यकार के रूप में लेखन। ‘चित्रलेखा’ उपन्यास पर दो बार फिल्म-निर्माण और ‘भूले-बिसरे चित्र’ साहित्य अकादमी से सम्मानित। पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त।

Check Also

National Microwave Oven Day: Date, History, Significance, Celebration

National Microwave Oven Day: Date, History, Significance, Celebration

National Microwave Oven Day: National Microwave Oven Day is observed on December 6, every year. …