हम तुम यदि मिलें कहीं
देखें कुछ परिचित से
लेकिन पहचाने ना
याद भी न आये नाम
रंग, रूप, नाम, धाम
सोचें यह संभव है
पर, मन से माने ना
हो न याद, एक बार
आया तूफान, ज्वार
बन्द मिटे पृष्ठों को
पढ़ने की ठानें ना
बातें जो साथ हुईं
बातें जो साथ गईं
आँखें जो मिली रहीं
उनको भी जानें ना।