दुनिया एक खिलौना - निदा फ़ाज़ली

दुनिया एक खिलौना – निदा फ़ाज़ली

दुनिया जिसे कहते हैं‚ जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है‚ खो जाए तो सोना है।

अच्छा सा कोई मौसम‚ तन्हा सा कोई आलम
हर वक्त का रोना तो‚ बेकार का रोना है।

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस रााह से बचना है, किस छत को भिगोना है।

ग़मा हो या खुशी दोनो कुछ देर के साथी हैं
फिर रस्ता ही रस्ता है‚ हँसना है न रोना है।

यह वक्त जो मेरा है‚ यह वक्त जो तेरा है
हर गाम पे पहरा है‚ फिर भी इसे खोना है।

आवारामिज़ाजी ने फैला दिया आंगन को
आकाश की चादर है‚ धरती का बिछौना है।

∼ निदा फ़ाज़ली

शब्दार्थ:
गाम ∼ कदम

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