पंचम वेद महाभारत में सम्पूर्ण धर्म, दर्शन, समाज, संस्कृति, युद्ध और ज्ञान-विज्ञान की बातें शामिल हैं। दुनिया के प्रथम विश्वयुद्ध महाभारत में कई घटना, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं। ऐसा कुछ भी नहीं है जो महाभारत में नहीं है। महाभारत युद्ध को हुए सदियां बीत गई हैं लेकिन आज भी उस युद्ध के गवाह हैं बहुत से स्थान जिनका संक्षिप्त वर्णन के साथ दीदार करवाएंगे हम आपको तस्वीरों के माध्यम से –
व्यास पोथी नामक स्थान बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर की दूरी पर उत्तराखंड के माणा गांव में स्थित है। यहां महाभारत के रचनाकार महर्षि वेद व्यास जी की गुफा है। इसके समीप ही गणेश गुफा है, मान्यता है की इसी गुफा में व्यास जी ने महाभारत को मौखिक रूप दिया था और गणेश जी ने लिखा था।
माना जाता है की उत्तराखंड में अवस्थित पांडुकेश्वर तीर्थ में अपनी इच्छा से राज्य त्याग करने के बाद महाराज पांडु अपनी रानियों कुंती और मादरी संग निवास करते थे। इसी स्थान पर पांचों पांडवों का जन्म हुआ था।
जिस स्थान पर कंस रहता था उस स्थान को कंस के किले के नाम से जाना जाता है। कंस के आतंक को रोकने के लिए विष्णु भगवान ने श्री कृष्ण अवतार लेना था। कंस उनके इस अवतार को रोकने और अवतार उपरांत उन्हें मारने का षड्यंत्र इसी कीले में रचता था।
दुर्योधन ने पांडवों को जीवित जलाने के उद्धेश्य से लाक्षागृह का निर्माण करवाया था लेकिन वो एक सुरंग के माध्यम से बाहर आ गए और बच गए थे। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बरनावा में एक सुरंग है मान्यता है की पांडव यहीं से बच कर निकले थे।
लाक्षागृह से निकलने पर भटकते हुए पांडव वर्तमान नागालैंड में पहुंच गए थे। वहां पर राक्षसी हिडिंबा संग भीम का विवाह हुआ था तत्पश्चात उनका घटोत्कच नामक पुत्र हुआ। जोकि भीम के समान ही बलशाली था। भीम अपने पुत्र के साथ जिन गोटियों से शतरंज खेला करते थे। वह आज भी नागालैंड के दिमापुर में देखी जा सकती हैं।
बिहार के राजगृह में अवस्थित है कंस के ससुर जरासंध का अखाड़ा। जरासंध बहुत बलवान था। मान्यता है की इसी स्थान पर भगवान श्री कृष्ण के इशारे पर भीम ने उसका वध किया था।
कहते हैं कौरवों से अपना राज्य हारने के बाद भगवान श्री कृष्ण के कहने पर अर्जुन मनाली के पिरनी में तप करने चला गया था। उस स्थान को अर्जुन गुफा के नाम से जाना जाता है। इसी स्थान पर भगवान शिव ने अर्जुन को पशुपताशस्त्र दिया था।
उत्तराखंड में जोशीमंड से लगभग 25 किलोमीटर दूर हनुमान चट्टी है। यहां भीम और हनुमान जी की भेंट हुई थी और हनुमान जी ने भीम को महाभारत युद्ध में विजयी होने का आशीष दिया था।
कुरूक्षेत्र की भूमि पर ही ऐतिहासिक युद्ध, महाभारत की लड़ाई हुई थी। कुरूक्षेत्र ही वह स्थान है जहां पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन का मोह विश्लेषण करने के लिए उसे श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था।
कुरुक्षेत्र में प्राचीन कुआं आज भी देखा जा सकता है। माना जाता है कि इसी जगह पर महाभारत युद्ध में कर्ण ने चक्रव्यूह की रचना करके अभिमन्यु को धोखे से मारा था। जिससे वह वीरगति को प्राप्त हुआ था।