तुमुल कोलाहल कलह में मैं हृदय की बात रे मन – जयशंकर प्रसाद

तुमुल कोलाहल कलह में, मैं हृदय की बात रे मन।

विकल हो कर नित्य चंचल
खोजती जब नींद के पल
चेतना थक–सी रही तब, मैं मलय की वात रे मन।

चिर विषाद विलीन मन की,
इस व्यथा के तिमिर वन की
मैं उषा–सी ज्योति-रेखा, कुसुम विकसित प्रात रे मन।

जहाँ मरू–ज्वाला धधकती,
चातकी कन को तरसती,
उन्हीं जीवन घाटियों की, मैं सरस बरसात रे मन।

पवन की प्राचीर में रुक,
जला जीवन जी रहा झुक,
इस झुलसते विश्वदिन की, मैं कुसुम ऋतु रात रे मन।

चिर निराशा नीरधर से,
प्रतिच्छायित अश्रु सर से,
मधुप मुखर मरंद मुकुलित, मैं सजल जल जात रे मन।

∼ जयशंकर प्रसाद

About Jaishankar Prasad

जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 - 14 जनवरी 1937) हिन्दी कवि, नाटकार, कथाकार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई और वह काव्य की सिद्ध भाषा बन गई। आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में इनके कृतित्व का गौरव अक्षुण्ण है। वे एक युगप्रवर्तक लेखक थे जिन्होंने एक ही साथ कविता, नाटक, कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में हिंदी को गौरव करने लायक कृतियाँ दीं। कवि के रूप में वे निराला, पन्त, महादेवी के साथ छायावाद के चौथे स्तंभ के रूप में प्रतिष्ठित हुए है; नाटक लेखन में भारतेंदु के बाद वे एक अलग धारा बहाने वाले युगप्रवर्तक नाटककार रहे जिनके नाटक आज भी पाठक चाव से पढते हैं। इसके अलावा कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में भी उन्होंने कई यादगार कृतियाँ दीं। विविध रचनाओं के माध्यम से मानवीय करूणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूर्ण पक्षों का उद्घाटन। 48 वर्षो के छोटे से जीवन में कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचनात्मक निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाएं की। उन्हें ‘कामायनी’ पर मंगलाप्रसाद पारितोषिक प्राप्त हुआ था। उन्होंने जीवन में कभी साहित्य को अर्जन का माध्यम नहीं बनाया, अपितु वे साधना समझकर ही साहित्य की रचना करते रहे। कुल मिलाकर ऐसी विविध प्रतिभा का साहित्यकार हिंदी में कम ही मिलेगा जिसने साहित्य के सभी अंगों को अपनी कृतियों से समृद्ध किया हो।

Check Also

Utpanna Ekadashi Information For Hindus: Utpatti Ekadashi

Utpanna Ekadashi Date, Fasting Procedure: Utpatti Ekadashi

Utpanna Ekadashi: In North India, Utpanna Ekadashi falls in the month of Margashirsha but according …