कलाकार और सिपाही – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

वे तो पागल थे
जो सत्य, शिव, सुंदर की खोज में
अपने–अपने सपने लिये
नदियों, पहाड़ों, बियाबानों, सुनसानों मे
फटे–हाल भूखे प्यासे,
टकराते फिरते थे,
अपने से जूझते थे,
आत्मा की आज्ञा पर
मानवता के लिये,
शिलाएँ, चट्टानें, पर्वत काट–काट कर
मूर्तियाँ, मन्दिर, और गुफाएँ बनाते थे।

किंतु ऐ दोस्त!
इनको मैं क्या कहूँ,
जो मौत की खोज में
अपनी–अपनी बन्दूकें, मशीनगनें लिये हुए
नदियों, पहाड़ों, बियाबानों, सुनसानों मे
फटे–हाल भूखे प्यासे,
टकराते फिरते हैं,
दूसरों की आज्ञा पर,
चंद पैसों के वास्ते,
शिलाएँ, चट्टानें, पर्वत काट–काट कर
रसद, हथियार, एंबूलेंस, मुर्दागाड़ियों के लिये
सड़कें बनाते हैं!

वे तो पागल थे
पर इनको मैं क्या कहूँ!

∼ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

About Sarveshwar Dayal Saxena

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (15 सितंबर 1927 – 23 सितंबर 1983) मूलतः कवि एवं साहित्यकार थे, पर जब उन्होंने दिनमान का कार्यभार संभाला तब समकालीन पत्रकारिता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को समझा और सामाजिक चेतना जगाने में अपना अनुकरणीय योगदान दिया। सर्वेश्वर मानते थे कि जिस देश के पास समृद्ध बाल साहित्य नहीं है, उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं रह सकता। सर्वेश्वर की यह अग्रगामी सोच उन्हें एक बाल पत्रिका के सम्पादक के नाते प्रतिष्ठित और सम्मानित करती है। जन्म– 15 सितंबर 1927 को बस्ती में विश्वेश्वर दयाल के घर। शिक्षा– इलाहाबाद से उन्होंने बीए और सन 1941 में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की। कार्यक्षेत्र– 1941 में प्रयाग में उन्हें एजी आफिस में प्रमुख डिस्पैचर के पद पर कार्य मिल गया। यहाँ वे 1955 तक रहे। तत्पश्चात आल इंडिया रेडियो के सहायक संपादक (हिंदी समाचार विभाग) पद पर आपकी नियुक्ति हो गई। इस पद पर वे दिल्ली में वे 1960 तक रहे। सन 1960 के बाद वे दिल्ली से लखनऊ रेडियो स्टेशन आ गए। 1964 में लखनऊ रेडियो की नौकरी के बाद वे कुछ समय भोपाल एवं रेडियो में भी कार्यरत रहे। सन 1964 में जब दिनमान पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ तो वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' के आग्रह पर वे पद से त्यागपत्र देकर दिल्ली आ गए और दिनमान से जुड़ गए। 1982 में प्रमुख बाल पत्रिका पराग के सम्पादक बने। नवंबर 1982 में पराग का संपादन संभालने के बाद वे मृत्युपर्यन्त उससे जुड़े रहे। निधन– 23 सितंबर 1983 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया।

Check Also

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: This day encourages critical thinking, dialogue, and intellectual curiosity, addressing global challenges …