राही के मुक्तक – बालस्वरूप राही

मेरे आँसू तो किसी सीप का मोती न बने
साथ मेरे न कभी आँख किसी की रोई
ज़िन्दगी है इसकी न शिकायत मुझको
गम तो इसका है की हमदर्द नहीं है कोई।

आप आएं हैं तो बैठें जरा, आराम करें
सिलसिला बात का चलता है तो चल पड़ता है
आप की याद में खोया हूँ, अभी चुप रहिये
बात करने में ख्यालों में खलल पड़ता है।

रात भर जग के इन्तजार कौन करे
झूठी उम्मीद पे दिल बेक़रार कौन करे
तेरी उल्फत पे तो मुझ को यकीं है पूरा
तेरे वादों का मगर एतबार कौन करे।

वादा करता है किनारे का, लहर देता है
लाख गम सुख का महज एक पहर देता है
उम्र की राह कटी तब यह कहीं राज खुला
प्यार अमृत के बहाने ही जहर देता है।

रात आती है तेरी यादों में काट जाती है
आँख रह रह के सितारों सी डबडबाती है
इतना बदनाम हो गया हूँ की मेरे घर में
आजकल नींद भी आते हुए शरमाती है।

∼ बालस्वरूप राही

About Bal Swaroop Rahi

बालस्वरूप राही जन्म– १६ मई १९३६ को तिमारपुर, दिल्ली में। शिक्षा– स्नातकोत्तर उपाधि हिंदी साहित्य में। कार्यक्षेत्र: दिल्ली विश्विद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष के साहित्यिक सहायक, लेखन, संपादन व दूरदर्शन के लिये लगभग तीस वृत्तिचित्रों का निर्माण। कविता, लेख, व्यंग्य रचनाएँ, नियमित स्तंभ, संपादन और अनुवाद के अतिरिक्त फिल्मों में पटकथा व गीत लेखन। प्रकाशित कृतियाँ: कविता संग्रह- मौन रूप तुम्हारा दर्पण, जो नितांत मेरी है, राग विराग। बाल कविता संग्रह- दादी अम्मा मुझे बताओ, जब हम होंगे बड़े, बंद कटोरी मीठा जल, हम सबसे आगे निकलेंगे, गाल बने गुब्बारे, सूरज का रथ आदि।

Check Also

Vanvaas: 2024 Nana Patekar Hindi Drama Film, Trailer, Review

Vanvaas: 2024 Nana Patekar Hindi Drama Film, Trailer, Review

Movie Name: Vanvaas Directed by: Anil Sharma Starring: Nana Patekar, Utkarsh Sharma, Simrat Kaur, Rajpal Yadav, Khushbu Sundar, Ashwini Kalsekar …