15 अगस्त 1947 - शील

15 अगस्त 1947 कविता: आजादी के उपलक्ष में लिखी गई देश प्रेम कविता

15 अगस्त 1947 कविताभारत का स्वतंत्रता दिवस, जो हर साल 15 अगस्त को पूरे देश में धार्मिक रूप से मनाया जाता है, राष्ट्रीय दिवसों की सूची में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि यह हर भारतीय को एक नई शुरुआत की याद दिलाता है, 200 से अधिक वर्षों के ब्रिटिश उपनिवेशवाद के चंगुल से मुक्ति के युग की शुरुआत। 15 अगस्त 1947 को ही भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्र घोषित किया गया था, और देश के नेताओं को नियंत्रण की बागडोर सौंपी गई थी। भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करना नियति के साथ एक मुलाकात थी, क्योंकि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष एक लंबा और थकाऊ संघर्ष था, जिसमें कई स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान हुए, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी।

15 अगस्त 1947 कविता: आजादी पर देश प्रेम कविता

आज देश मे नई भोर है –
नई भोर का समारोह है।

आज सिन्धु-गर्वित प्राणों में
उमड़ रहा उत्साह
मचल रहा है
नए सृजन के लक्ष्य बिन्दु पर
कवि के मुक्त छन्द-चरणों का
एक नया इतिहास।

आज देश ने ली स्वंत्रतता
आज गगन मुस्काया।
आज हिमालय हिला
पवन पुलके
सुनहली प्यारी-प्यारी धूप।
आज देश की मिट्टी में बल
उर्वर साहस –
आज देश के कण-कण
ने ली
स्वतंत्रता की साँस।

युग-युग के अवढर योगी की
टूटी आज समाधि
आज देश की आत्मा बदली
न्याय नीति संस्कृति शासन पर
चल न सकेंगे –
अब धूमायित-कलुषित पर संकेत
एकत्रित अब कर न सकेंगे, श्रम का सोना
अर्थ व्यूह रचना के स्वामी
पूंजी के रथ जोत।

आज यूनियन जैक नहीं
अब है राष्ट्रीय निशान
लहराओ फहराओ इसको
पूजो-पूजो-पूजो इसको
यह बलिदानों की श्रद्धा है
यह अपमानों का प्रतिशोध
कोटि-कोटि सृष्टा बन्धुओं को
यह सुहाग सिन्दूर।

यह स्वतंत्रता के संगर का पहला अस्त्र अमोध
आज देश जय-घोष कर रहा
महलों से बाँसों की छत पर नई चेतना आई
स्वतंत्रता के प्रथम सूर्य का है अभिनंदन-वन्दन
अब न देश फूटी आँखों भी देखेगा जन-क्रन्दन
अब न भूख का ज्वार-ज्वार में लाशें
लाशों में स्वर्ण के निर्मित होंगे गेह
अब ना देश में चल पाएगा लोहू का व्यापार
आज शहीदों की मज़ार पर
स्वतंत्रता के फूल चढ़ाकर कौल करो
दास-देश के कौतुक –करकट को बुहार कर
कौल करो।

आज देश में नई भोर है
नई भोर का समारोह है।

मन्नू लाल शर्माशील‘ की कविता ‘15 अगस्त 1947

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