मुझको सरकार बनाने दो – अल्हड़ बीकानेरी

जो बुढ्ढे खूसट नेता हैं, उनको खड्डे में जाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

मेरे भाषण के डंडे से
भागेगा भूत गरीबी का,
मेरे वक्तव्य सुनें तो झगड़ा
मिटे मियां और बीवी का।

मेरे आश्वासन के टानिक का
एक डोज़ मिल जाए अगर,
चंदगी राम को करे चित्त
पेशेंट पुरानी टी बी का।

मरियल सी जनता को मीठे, वादों का जूस पिलाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

जो कत्ल किसी का कर देगा
मैं उसको बरी करा दूँगा,
हर घिसी पिटी हीरोइन कि
प्लास्टिक सर्जरी करा दूँगा;

लड़के लड़की और लैक्चरार
सब फिल्मी गाने गाएंगे,
हर कालेज में सब्जैक्ट फिल्म
का कंपल्सरी करा दूँगा।

हिस्ट्री और बीज गणित जैसे विषयों पर बैन लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

जो बिल्कुल फक्कड़ हैं, उनको
राशन उधार तुलवा दूँगा,
जो लोग पियक्कड़ हैं, उनके
घर में ठेके खुलवा दूँगा;

सरकारी अस्पताल में जिस
रोगी को मिल न सका बिस्तर,
घर उसकी नब्ज़ छूटते ही
मैं एंबुलैंस भिजवा दूँगा।

मैं जन-सेवक हूँ, मुझको भी, थोडा सा पुण्य कमाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

श्रोता आपस में मरें कटें
कवियों में फूट नहीं होगी,
कवि सम्मेलन में कभी, किसी
की कविता हूट नहीं होगी;

कवि के प्रत्येक शब्द पर जो
तालियाँ न खुलकर बजा सकें,
ऐसे मनहूसों को, कविता
सुनने की छूट नहीं होगी।

कवि की हूटिंग करने वालों पर, हूटिंग टैक्स लगाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

ठग और मुनाफाखोरों की
घेराबंदी करवा दूँगा,
सोना तुरंत गिर जाएगा
चाँदी मंदी करवा दूँगा;

मैं पल भर में सुलझा दूँगा
परिवार नियोजन का पचड़ा,
शादी से पहले हर दूल्हे
की नसबंदी करवा दूँगा।

होकर बेधड़क मनाएंगे फिर हनीमून दीवाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो।

∼ अल्हड़ बीकानेरी

About Alhad Bikaneri

श्यामलाल शर्मा उर्फ अल्हड़ बीकानेरी (17 मई 1937 – 17 जून 2009) हिन्दी साहित्य के जाने-माने हास्य कवि थे। उनका जन्म हरियाणा के रेवाड़ी जिले के बीकानेर गाँव में हुआ था। श्री बीकानेरी की शब्द-यात्रा 1962 से गीत-गजल में पर्दापण हुई। उनकी साहित्यिक रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित एवं आकाशवाणी, दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुई। वर्ष 86 में हरियाणवी फीचर फिल्म ‘छोटी साली’ के गीत-कहानी का लेखन व निर्माण किया। उन्होंने लगभग 15 पुस्तकें लिखीं, जिनमें ‘भज प्यारे तू सीताराम’, ‘घाट-घाट घूमे’, ‘अभी हंसता हूं’, ‘अब तो आंसू पोंछ’, ‘भैंसा पीवे सोम रस’, ‘ठाठ गजल के’, ‘रेत का जहाज’ एवं ‘अनछुए हाथ’, ‘खोल देना द्वार’ और ‘जय मैडम की बोल रे’ प्रसिद्ध रही। उनको 1996 में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। हरियाणा सरकार ने वर्ष 2004 हरियाणा गौरव पुरस्कार से भी नवाजा गया। इसके अतिरिक्त 1981 में ठिठोली पुरस्कार दिल्ली, काका हाथरसी पुरस्कार, उज्जैन का टेपा पुरस्कार, कानपुर का मानस पुरस्कार, बदायूं का व्यंग्य पुरस्कार, इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती एवं यथा संभव उज्जैन पुरस्कार भी प्राप्त हुए। इसके अलावा अखिल भारतीय कवि सभा दिल्ली का काव्य गौरव एवं दिल्ली सरकार काका हाथरसी सम्मान भी मिला।

Check Also

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: This day encourages critical thinking, dialogue, and intellectual curiosity, addressing global challenges …