रात और शहनाई – रमानाथ अवस्थी

सो न सका कल याद तुम्हारी आई सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात।

मेरे बहुत चाहने पर भी नींद न मुझ तक आई
ज़हर भरी जादूगरनी सी मुझको लगी जुन्हाई
मेरा मस्तक सहला कर बोली मुझसे पुरवाई

दूर कहीं दो आंखें भर भर आईं सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात।

गगन बीच रुक तनिक चंद्रमा लगा मुझे समझाने
मनचाहा मन पा जाना है खेल नहीं दीवाने
और उसी क्षण टूटा नभ से एक नखत अनजाने

देख जिसे मेरी तबियत घबराई सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात।

रात लगी कहने सो जाओ देखो कोई सपना
जग ने देखा है बहुतों का रोना और तड़पना
यहां तुम्हारा क्या‚ काई भी नहीं किसी का अपना

समझ अकेला मौत मुझे ललचाई सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात।

मुझे सुलाने की कोशिश में जागे अनगिन तारे
लेकिन बाजी जीत गया मैं वे सबके सब हारे
जाते जाते चांद कह गया मुझको बड़े सकारे

एक कली मुरझाने को मुस्काई सारी रात
और पास ही बजी कहीं शहनाई सारी रात।

— रमानाथ अवस्थी

शब्दार्थः
जुन्हाई ∼ चांदनी
नखत ∼ नक्षत्र
सकारे ∼ सुबह

About Ramanath Avasthi

रमानाथ अवस्थी (8 नवंबर 1926 – 29 जून 2002) आकाशवाणी में प्रोडयूसर के रूप में वर्षों काम किया तथा इसी पद से सेवानिवृत्त भी हुये। रमानाथ अवस्थी का जन्म फतेहपुर, उत्तरप्रदेश में हुआ। ‘सुमन- सौरभ’, ‘आग और पराग’, ‘राख और शहनाई’ तथा ‘बंद न करना द्वार’ इनकी मुख्य काव्य-कृतियां हैं। ये लोकप्रिय और मधुर गीतकार हैं। इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने पुरस्कृत किया है।

Check Also

Maa: 2025 Bollywood Mythological Horror Thriller Film, Trailer, Review

Maa: 2025 Bollywood Mythological Horror Thriller Film, Trailer, Review

Movie Name: Maa Directed by: Vishal Furia Starring: Kajol, Ronit Bose Roy, Indranil Sengupta, Kherin Sharma, …