सिंधु में ज्वार: अटल बिहारी वाजपेयी की देश प्रेम कविता

सिंधु में ज्वार: अटल बिहारी वाजपेयी की देश प्रेम कविता

On the auspicious occasion of the birthday of our past Prime Minister Atal Ji, I am posting excerpt from an inspiring poem written by him.

सिंधु में ज्वार: अटल बिहारी वाजपेयी

आज सिंधु में ज्वार उठा है
नगपति फिर ललकार उठा है
कुरुक्षेत्र के कण–कण से फिर
पांचजन्य हुँकार उठा है।

शत–शत आघातों को सहकर
जीवित हिंदुस्थान हमारा
जग के मस्तक पर रोली सा
शोभित हिंदुस्थान हमारा।

दुनियाँ का इतिहास पूछता
रोम कहाँ, यूनान कहाँ है
घर–घर में शुभ अग्नि जलाता
वह उन्नत ईरान कहाँ है?

दीप बुझे पश्चिमी गगन के
व्याप्त हुआ बर्बर अँधियारा
किंतु चीर कर तम की छाती
चमका हिंदुस्थान हमारा।

हमने उर का स्नेह लुटाकर
पीड़ित ईरानी पाले हैं
निज जीवन की ज्योति जला –
मानवता के दीपक बाले हैं।

जग को अमृत का घट देकर
हमने विष का पान किया था
मानवता के लिये हर्ष से
अस्थि–वज्र का दान दिया था।

जब पश्चिम ने वन–फल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत से साम गान का
स्वार्गिक स्वर था दिया सुनाई।

अज्ञानी मानव को हमने
दिव्य ज्ञान का दान दिया था
अम्बर के ललाट को चूमा
अतल सिंधु को छान लिया था।

साक्षी है इतिहास प्रकृति का
तब से अनुपम अभिनय होता
पूरब से उगता है सूरज
पश्चिम के तम में लय होता

विश्व गगन पर अगणित गौरव
के दीपक अब भी जलते हैं
कोटि–कोटि नयनों में स्वर्णिम
युग के शत–सपने पलते हैं।

~ अटल बिहारी वाजपेयी

Atal Bihari Vajpayee was an Indian politician who thrice served as the Prime Minister of India, first for a term of 13 days in 1996, for a period of eleven months from 1998 to 1999, and then for a full term from 1999 to 2004.

He was a member of the Indian Parliament for over four decades, being elected to the Lok Sabha, the lower house, ten times, and twice to the Rajya Sabha, the upper house. He served as the Member of Parliament for Lucknow, Uttar Pradesh until 2009 when he retired from active politics due to health concerns. Vajpayee was among the founding members of the erstwhile Bharatiya Jana Sangh which he also headed from 1968 to 1972. He was the Minister of External Affairs in the cabinet of Prime Minister Morarji Desai.

When the Janata government collapsed, Vajpayee restructured the Jana Sangh into the Bharatiya Janata Party in 1980. He was the first Indian prime minister who was not a member of the Indian National Congress party to have served a full five-year term in office.

He was conferred India’s highest civilian honour, the Bharat Ratna, by the President of India in 2015. The Modi government declared in 2014 that Vajpayee’s birthday, 25 December, would be marked as Good Governance Day. He died on 16 August 2018 due to age related illness.

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One comment

  1. Manish Kumar priydarashi

    वाकई ईनके लिखित कविता में देश के प्रति जो सम्रपित भाब की व्याखया हुई है, ईन्हें अपने सम्रपन भाव से देश दुख और सुख का जो व्याख्या किये शायद ही कोई प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए ऐसी कविता का रचना कर सकते जिनके मन में अपने देश के लिए ईतना सम्रपन भाब हो वैसे व्यक्तित्व के लिए सरा हिंन्दुस्तान नतमस्त है
    जय हिन्द जय भारत