माता की मृत्यु पर – प्रभाकर माचवे

माता की मृत्यु पर – प्रभाकर माचवे

माता! एक कलख है मन में‚ अंत समय में देख न पाया
आत्मकीर के उड़ जाने पर बची शून्य पिंजर सी काया।
और देख कर भी क्या करता? सब विज्ञान जहां पर हारे‚
उस देहली को पार कर गयी‚ ठिठके हैं हम ‘मरण–दुआरे’।
जीवन में कितने दुख झेले‚ तुमने कैसे जनम बिताया!
नहीं एक सिसकी भी निकली‚ रस दे कर विष को अपनाया?
आंसू पिये‚ हास ही केवल हमे दिया‚ तुम धन्य विधात्री!
मेरे प्रबल‚ अदम्य‚ जुझारू प्राणपिंड की तुम निर्मात्री।

कितने कष्ट सहे बचपन से‚ दैन्य‚ आप्तजनविरह‚ कसाले
पर कब इस जन को वह झुलसन लग पायी‚ ओ स्वर्ण–ज्वाले!
सभी पूत हो गया स्पर्श पा तेरा‚ कल्मष सभी जल गया‚
मेधा का यह स्फीत भाव औ’ अहंकार सब तभी जल गया‚
पंचतत्त्व का चोला बदला‚ पंचतत्त्व में पुनः मिल गया‚
मुझे याद आते हैं वे दिन‚ जब तुम ने की थी परिचर्या‚
शैशव में‚ उस रुग्ण दशा में तेरी वह चिंतातुर चर्या!

मैं जो कुछ हूं‚ आज तुम्हारी ही आशीष‚ प्रसादी‚ मूर्ता‚
गयीं आज तुम देख फुल्लपरिवार‚ कामना सब संपूर्ता
किंतु हमारी ललक हठीली अब भी तुम्हें देखना चाहें‚
नहीं लौट कर आने वाली‚ वे अजान‚ अंधियारी राहें…
मरण जिसे हम साधारण–जन कहते हैं‚ वह पुरस्सरण हैं।
क्षण–क्षण उसी ओर श्वासों के बढ़ते जाते चपल चरण हैं।
फिर भी हम अस्तित्व मात्र के निर्णय को तज‚ नियति–चलित से
कठपुतली बन नाच रहे हैं‚ ज्यों निर्माल्य प्रवाह पतित से!

~ प्रभाकर माचवे

Check Also

Shubhchintak: 2025 Gujarati Crime thriller Drama Film, Trailer, Review

Shubhchintak: 2025 Gujarati Crime thriller Drama Film, Trailer, Review

Movie Name: Shubhchintak Directed by: Nisarg Vaidya Starring: Swapnil Joshi, Manasi Parekh, Viraf Patell, Deep …