दयालु कौन - Short Hindi Poem about Kindness

दयालु कौन – Short Hindi Poem about Kindness

(१)

देख पराया दुःख, ह्रदय जिसका अति व्याकुल हो जाता।
जब तक दुःख न मिटता, तब तक नही चैन जो है पाता।।

पर दुःख हरने को जो सुख से निज सुख देकर सुख पाता।
करुणा सागर का सेवक वह, दयालु जग में कहलाता।।

(२)

शत्रु-मित्र निज-परमे कोई भी जो भेद नही करता।
दुःखी मात्र के दुःख से दुःखी हो, जो सबके दुःख हरता।।

तन-मन-धन – सबकी बलि देने में जो तनिक नहीं डरता।
दयालु वह जो पर-रक्षण में हँसते-हँसते है मरता।।

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