पूसी के मुँह में पानी आ गया। तभी रीना की मम्मी ने उसे आवाज़ दी और रीना उनकी बात सुनने के ड्राइंग रूम की ओर भागी।
बस फिर क्या था पूसी की तो जैसे मुँहमाँगी मुराद पूरी हो गई।
आख़िर आज उसे अचार चखने का मौका मिल ही गया था । वह दबे पाँव रसोईघर के अंदर गई और जैसे ही अचार के पास पहुंची, वहाँ रीना आ गई। रीना उसे देखकर गुस्से से चिल्लाई। पूसी सर पर पैर रखकर वहाँ से भाग निकली।
पर अचार उसकी आँखों से पल भर के लिए भी ओझल नहीं हो रहा था। अब तो पूसी को सपने में भी दूध और मलाई की जगह नींबू का अचार दिखाई देता था। जब भी रीना खाना खाने बैठती तो पूसी जाकर उसके पैरों के पास बैठ जाती कि शायद कभी रीना उसको भी थोड़ा सा नींबू का अचार दे दे, पर रीना को तो गोलमटोल झबरीले बाल वाली पूसी इतनी पसंद थी कि वो कई बार मम्मी की नज़रें बचाकर पूसी को अपने हिस्से का भी दूध और मलाई भी उसी को दे देती थी। भला उसे क्या पता था कि पूसी का मन नींबू के अचार में अटका हुआ है।
अब तो पूसी को जैसे मर्तबान को देखे बिना चैन ही नहीं पड़ता था। वह जब भी रसोईघर में जाती तो लाल मसाले वाला नींबू का अचार देखकर अपने होंठों पर जीभ फिराने लगती। एक शाम को पूसी ने देखा कि रीना की मम्मी ने अचार का मर्तबान उतारकर फर्श पर रखा और फ़िर उसे वापस अलमारी में रखना भूल गई। पूसी को तो जैसे मुँहमाँगी मुराद मिल गई। वो बेसब्री से रात होने का इंतज़ार करने लगी। जब सब खाना खाकर सोने चले गए तो वो दबे पाँव रसोईघर की ओर बढ़ चली।
उसने सोचा आज तो कुछ भी हो जाए, मैं मर्तबान से अचार निकाल ही लूँगी। पर वो जैसे ही रसोईघर के अंदर पहुंची, वहाँ पर उसने एक आदमी को देखा जो खिड़की के रास्ते से घर के अंदर घुस रहा था।
पूसी डर के मारे कांपने लगी और चुपचाप एक कोने में दुबक गई।
तभी उस आदमी ने टॉर्च जलाई धीरे-धीरे सभी बर्तन अपने थैले में रखने लगा।
पूसी ने सोचा – “अरे, ये तो कोई चोर है। पर अगर मैं चिल्लाऊँ तो कहीं ये मुझे भी अपने बोरे में बंद करके अपने साथ ना ले जाए।”
पूसी को ये सोचकर ही इतनी ज्यादा घबराहट हुई, कि वो उस कोने में ही सिमट कर चुपचाप बिना हिले डुले बैठी रही। तभी उस चोर की टॉर्च की रौशनी अचार के मर्तबान पर पड़ी। लाल मसालेदार नींबूं का अचार देखते ही पूसी के मुँह में पानी आ गया।
तभी चोर नीचे झुका और बड़ी ही सावधानी से उसने मर्तबान उठा लिया।
अब तो पूसी के शरीर में अचानक हरकत हुई और वो चोर की तरफ़ ध्यान से देखने लगी। तभी चोर ने अपने बोरे का मुँह खोला और वो जैसे ही मर्तबान उसके अंदर रखने को हुआ, पूसी का खून खौल उठा।
“इतने दिनों से मैं जिस नींबू के अचार की एक फाँक भी ना खा सकी उसे ये पूरा का पूरा कितने आराम से उठा कर लिए जा रहा है।” पूसी ने गुस्से से दाँत किटकिटाते हुए कहा और चोर के ऊपर तेजी से कूदी। चोर इस अप्रत्याशित हमलें से बहुत घबरा गया और मर्तबान के साथ ही वो ज़मीन पर गिर पड़ा।
छनाक… की आवाज़ के साथ ही मर्तबान टुकड़े-टुकड़े होकर कई टुकड़ो में बिखर गया।
पूसी ने आव देखा ना ताव और चोर को नोचने और काटने लगी।
चोर दर्द के मारे जोर-जोर से चीखते हुए उसे हटाने की कोशिश कर रहा था पर पूसी ने चोर का मुँह अपने नुकीले नाखूनों से बुरी तरह से नोच डाला था।
तब तक घर की सारी बत्तियां जल उठी और वहाँ पर रीना और उसके मम्मी – पापा आ गए।
उन्हें देखते ही चोर जोर से चिल्लाता हुआ बोला – “आप मुझे इसी वक़्त पुलिस से पकड़वा दो पर इस बिल्ली को मेरे ऊपर से हटा दो।”
रीना के मम्मी ने तुरंत पुलिस को फ़ोन मिलाया और रीना के पापा ने एक रस्सी से चोर के हाथ पैर बाँध दिए।
रीना ने पूसी को गोद में उठाया तो उसकी मम्मी पूसी के ऊपर बड़े ही प्यार से हाथ फेरते हुए बोली – “हमारी पूसी तो बड़ी होशियार है। अब कल से मैं इसे और ज्यादा दूध और मलाई दिया करुँगी।”
रीना ने प्यार से पूसी को चूम लिया और कमरे में लेकर जाने लगी।
और पूसी… वो तो अभी भी लगातार ज़मीन पर बिखरे लाल मसालेदार नींबू के अचार को ललचाई नज़रों से देख कर होंठो अपनी जीभ पर फेर रही थी ।
~ डॉ. मंजरी शुक्ला
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