World No Child Labour Day विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस

विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस पर विद्यार्थियों और बच्चों के लिए जानकारी

प्रति वर्ष 12 जून के दिन को विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 2016 के लिए इस दिवस का थीम है – “आपूर्ति श्रृंखलाओं में श्रम को खत्म करना हर किसी का दायित्व है“।

इस दिवस का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा की जरुरत पर बल देना तथा इसके प्रति लोगों को जागरूक करते हुए बाल श्रम तथा विभिन्न रूपों में बच्चों के मौलिक अधिकारों के उलझनों को समाप्त करना है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने विभिन्न क्षेत्रों में बाल श्रम के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए वर्ष 2002 में विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस शुरुआत की थी। संगठन के अनुसार विश्व भर में 16 करोड़ 80 लाख से ज्यादा बाल श्रमिक है।

भारत में ही करोड़ो बच्चे बाल श्रम में लगे हुए है। समय से पहले श्रम कार्य में लग जाने से वे उस शिक्षा और पशिक्षण से वंचित रह जाते हैं, जो उनके परिवारों और समुदायों को गरीबी चक्र से बाहर निकलने में मददगार हो सकते है। बाल श्रमिकों के रूप में वे शरीरिक व मनोवैज्ञानिक यातना से भी प्रभावित होते है, जिससे उनके जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।

सरकार ने बालश्रम की समस्या को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए है।

भारतीय संविधान का अनुछेद 23 खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है। केंद्र सरकार ने 1986 में बाल श्रम निषेध और नियमन अधिनियम पारित किया था।

इसके अनुसार बाल श्रम तकनीकी सलाहकार समिति नियुक्त की गई। इस समिति की सिफारिश के अनुसार खतरनाक उद्योगों में बच्चों की नियुक्ति निषिद्ध है। 1987 में राष्ट्रिय बालश्रम नीति बनाई गई थी।

क्या कहता है भारतीय संविधान?

मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति – निर्देशक सिद्धांत की विभिन्न धाराओं के माध्यम से संविधान कहता है कि 14 साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्टरी या खदान में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा और न ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जाएगा।

इसके तहत राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करेंगे की श्रमिकों, पुरषों और महिलओं का स्वास्थ तथा उनकी क्षमता सुरक्षित रह सके और बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो तथा वे अपनी उम्र व शक्ति के प्रतिकूल काम में आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए प्रवेश करें।

भारत निम्नलिखित अंतरराष्ट्रीय संधियों पर भी हस्ताक्षर कर चूका है:

  1. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन बलात श्रम सम्मेलन
  2. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन बलात श्रम सम्मेलन का उन्मूलन
  3. बच्चों के अधिकार पर सयुक्त राष्ट्र सम्मेलन

बरकरार है समस्या:

इतने कानूनों के बावजूद आज भी करोड़ो बच्चों का बचपन बाल श्रम की भेंट चढ़ रहा है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में छोटे स्तर पर होटल, घरों व फैक्टरी में काम कर या अलग – अलग व्यवसाय में मजदूरी कर हजारों बाल श्रमिक अपने बचपन को तिलांजलि दे रहें हैं जिन्हे न तो किसी कानून की जानकारी है और न ही पेट पालने का कोई और तरीक पता है।

कालीन, दियासिलाई, रत्न पॉलिश व जवाहरात, पीतल व कांच, बीड़ी उद्योग, हस्तशिल्प, सूती हौजरी, नारियल रेशा, सिल्क, हथकरघा, कढ़ाई, बुनाई, रेशम, लकड़ी की नक्काशी, पत्थर की खुदाई, स्टेल पेंसिल, चाय के बगान से लेकर बाल वेश्यावृति में भी उन्हें धकेल दिया जाता है। कम उम्र में इस तरह के कार्यो को असावधानी से करने पर इन्हें कई तरह की बीमारियां होने का खतरा होता है।

जाहिर है कि केवल कानून बनाने भर से इस समस्या से निजात नहीं मिलने वाली। अब वक्त है कि नीतियों में जरुरी बदलाव लाए जाएं और दृढ़ इच्छाशक्ति से इस पर लगाम लगाने की कोशिश की जाए।

Check Also

World Autism Awareness Day Information

World Autism Awareness Day: Date, History, Theme, Significance

World Autism Awareness Day is observed annually on 2nd April to persuade member states to …