Village Boy Who Changed Schoolmaster's Mindset भीकू और मास्टरजी

Village Boy Who Changed Schoolmaster’s Mindset भीकू और मास्टरजी

रामपुर गावं में एक स्कूल था। आसपास के बच्चे वही पढ़ने आया करते थे। वहां एक ही मास्टरजी थे, जो प्रधानाचार्य से लेकर चपरासी का काम बखूबी करते थे। क्योंकि उस गाँव में बिजली एवं पानी के घोर संकट के चलते जो भी शहर से आता था, वह उलटे पाँव भाग जाता था। मास्टरजी को बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी मास्टरजी कहते थे, पर उनका पूरा नाम था “शिवेंद्र नारायण त्रिपाठी”।

उनमें तमाम अच्छाइयों के बावजूद एक बहुत बड़ा अवगुण भी था, वह केवल ऊँची जाती वाले छात्र-छात्रों को ही अपने विद्यालय में प्रवेश देते थे, एवं पिछड़ी जाति के बच्चों को अपने विद्यालय के पास तक भी नहीं फटकने देते थे। मास्टरजी जब ऐसे ही किसी बच्चे को अपने स्कूल के ग्राउंड के आसपास भी देखते तो उसके पीछे अपना डंडा लेकर दौड़ पड़ते और उसे दूर तक खदेड़ के ही दम लेते। स्कूल के बच्चों को यह देखकर बहुत दुख होता पर वे सभी मास्टरजी से बहुत डरते थे इसलिए चुपचाप बैठे रहते।

उसी गाँव में भीकू नाम का एक लड़का था। उसके पिताजी मोची थे और जूते सिलने का काम करते थे। भीकू बहुत ही समझदार एवं बुद्धिमान था। जब वह स्कूल जा रहे बच्चों को देखता तो वह उनके पीछे पीछे दौड़ता हुआ स्कूल के दरवाजे तक जाता पर मास्टरजी का गुस्से से तमतमाया हुआ चेहरा देखकर उलटे पाँव लौट जाता। वह दिन में कई बार अकेले बैठकर रोता पर उसकी समझ में नहीं आता वह क्या करे। इसी तरह से दिन बीतते जा रहे थे और भीकू के मन में शिक्षा प्राप्त करने की लगन बढ़ती जा रही थी।

एक दिन उसने निश्चय किया वह मास्टरजी से बात करके जरूर देखेगा चाहे वह उसे कितना भी डांटे, पर बात करना तो दूर उसके पास जाने पर मास्टरजी ने उसे पीट पीट कर अधमरा कर दिया। बेचारा भीकू रोता हुआ स्कूल के बाहर चला गया। उसके बाद उसकी कभी हिम्मत ही नहीं पड़ी कि वह मास्टरजी के सामने पड़े। अब वह समय बिताने के लिए नदी के किनारे पहुँच जाता और रेत पर ही उल्टे सीधे अक्षर लिखने की कोशिश करता रहता।

एक बार उसने देखा की मास्टरजी नदी की ओर आ रहे है, तो वह डरकर पेड़ के ऊपर चढ़ गया ताकि वे उसे कही देख न ले। उसने देखा की मास्टरजी नदी पार जाने के लिए मल्लाह से किराया तय कर रहे थे। किराया तय करने के बाद वह नाव में बैठ गए। पर थोड़ी दूर जाते ही नाव पानी नदी में डूबने लगी। मल्लाह तो अपनी जान बचाने के लिए तुरंत पानी में कूद पड़ा और किनारे पर पहुँचने के लिए तैरने लगा। पर मास्टरजी बचाओ बचाओ चिल्ला रहे थे, और नदी में डूब रहे थे। भीखू बिना पलक झपकाए हवा की गति से उस ओर दौड़ पड़ा और नदी में छलांग लगा दी।

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