- हम आज जो कुछ भी यहाँ कह रहे हैं वो किसी दल या किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है। हम यहाँ राजनीति करने के लिए नहीं हैं। मैं यहाँ किसी सरकार को बचाने के लिए नहीं खड़ा हुआ हूँ… हम स्वराज चाहते हैं , दिल्ली में लोगों का शासन चाहते हैं।
- आम आदमी कौन है? ‘आप’ मानती है कि माध्यम वर्ग आम आदमी का हिस्सा है, जो कोई भी इस भ्रष्ट तंत्र से थक चुका है वो आम आदमी है।
- दिल्ली का आम आदमी देश को ये बताने में आगे आया है कि देश की राजनीति किस दिशा में जानी चाहिए।
- मैं पढ़ रहा था कि दिल्ली में दो लोग ठण्ड से मर गए। आज़ादी के बाद करोड़ों खर्च किये जा चुके हैं और शायद इससे बचा जा सकता था अगर पैसे सही से खर्च किये गए होते। कहाँ गया सारा पैसा? आम आदमी जानना चाहता है। हमें इस बात को मानना पड़ेगा कि इस देश की राजनीति का अपराधीकरण हो चुका है।
- इस देश के नेताओं ने आम आदमी को ललकारा कि वो चुनाव लड़ें विधान सभा में आएं और अपना क़ानून बनाएं। वो नेतागण भूल गए कि आम आदमी खेत जोतता है, नेता नहीं, आम आदमी चाँद पर जाता है, नेता नहीं। जब कोई विकल्प नहीं बचा तो आम आदमी ने निश्चय किया कि वो चुनाव लड़ेगा।
- मैं पहले भगवान् को नहीं मानता था लेकिन अब मानता हूँ। मैं यकीन रखता हूँ कि सच कभी हार नहीं सकता… यह एक असम्भव लड़ाई थी, किसने सोचा था कि 1 साल पुरानी पार्टी 28 सीट जीत जायेगी।
- एक अजीब तरह का VIP राज फैला हुआ है। वे हर एक मंत्री के लिए ट्रैफिक रोक देते हैं… मैं पिछले कुछ दिनों से गाड़ी चला रहा हूँ। मैं हर एक लाल-बत्ती पर रुकता हूँ। मुझे नहीं लगता मेरा समय बर्वाद होता है।
- यौन उत्पीड़न के किसी भी मामले में, दोषियों को तीन से चार पांच छह महीने के अंदर सबसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
- दिल्ली की जनता ने भारतीय राजनीति से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने की हिम्मत दिखायी है। इस सदन के समक्ष प्रश्न यह है कि इसके कौन से सदस्य इस लड़ाई का हिस्सा बनना चाहते हैं?
- हम यहाँ वोट बैंक या पॉवर पॉलिटिक्स के लिए नहीं हैं। हम यहाँ देश की राजनीति बदलने के लिए हैं।
- हम बड़ी पार्टीयों का गुरूर तोड़ने के लिए पैदा हुए थे। हमें सावधान रहना होगा कि हमे गिराने के लिए किसी और पार्टी को जन्म ना लेना पड़े।
- ये केजरीवाल नहीं है जिसने आज शपथ ली है बल्कि ये आम आदमी है… ये आम आदमी की जीत है।
- सच्चाई का रास्ता आसान नहीं बल्कि काँटों भरा है और हम आने वाली सभी मुश्किलों का सामना करेंगे।
- हम यहाँ सत्ता हथियाने नहीं आये हैं बल्कि शाशन को वापस जनता के हाथों में देने आये हैं। अब, दिल्ली के 1.5 करोड़ लोग सरकार चलाएंगे।
- हम सारी उम्मीद खो चुके थे और सोचते थे कि राजनीति गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार है। लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में, लोगों ने साबित कर दिया कि राजनीति ईमानदारी से की जा सकती है, चुनाव ईमानदारी से लड़े और जीते जा सकते हैं।
- मैं हर्षवर्धन को नीजि तौर पर जानता हूँ और कह सकता हूँ कि वो एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन मैं उनकी पार्टी के बारे में कुछ नहीं कह सकता। मैं कांग्रेस, भाजपा और अन्य दलों से अपील करता हूँ कि अगर उन्हें लगता है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं तो अपने दलों को भूल जाएं और हमारा समर्थन करें।
- अन्ना कहा करते थे कि राजनीति गन्दी है। ढाई साल पहले, अन्ना जी ने भ्रष्टाचार हटाने और जनलोकपाल बिल पास करने के लिए 13 दिन का उपवास रखा। पिछले दो सालों में, हमने हर सम्भव चीज की। हमने उपवास किया, आंदोलन किये, लेकिन कुछ नहीं हुआ। धीरे – धीरे साफ़ हो गया कि बिना देश की राजनीति बदले हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं मिल सकती।
- मैं अन्ना से कहा करता था कि अगर हमें सिस्टम को साफ़ करना है तो हमें राजनीति के दल-दल में उतरना पड़ेगा।
- मैं ये नहीं मानता कि सभी नौकरशाह भ्रष्ट हैं मैं ये कहने में संकोच नहीं करूँगा कि ज्यादातर अधिकारी ईमानदार हैं।
- अब तक, ईमानदारों को दरकिनार कर दिया जाता था और भ्रष्टाचारियों को इनाम मिलता था। अब, ये बदलेगा, ईमादारी पुरस्कृत की जायेगी और भ्रष्ट को सजा मिलेगी।
- अगर हम ईमानदारी के रास्ते पर चलें तो अंततः ईमानदारी की जीत होगी।
- अगर हम साथ आ जाएं तो कुछ भी असम्भव नहीं है।
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