Shri Bala Sundri Devi Mata Temple, Deoband श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी मंदिर, देवबंद, उत्तर प्रदेश

श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी मंदिर, देवबंद, उत्तर प्रदेश

सहारनपुर जनपद मुख्यालय से 46 किलोमीटर दूर स्थित देवबंद नगर में माता दुर्गा के मां राजेश्वरी त्रिपुर बाला सुंदरी स्वरूप की पूजा की जाती है। हर साल यहां चैत्र मास की चतुर्दशी पर मेला लगता है। मेले में देश के कोने-कोने से लाखों भक्त मां के दर्शनों हेतु आते हैं। यहां मेला 15 दिनों तक चलता है।

मां बाला सुंदरी की पावन शक्तिपीठ आदि-अनादि काल से यहां स्थित हैै। शक्तिपीठ के गर्भ का निर्माण कब, किसने कराया यह अज्ञात भाषा में लिखा गया है। जिसे आज तक कोई पढ़ नहीं पाया। कहा जाता है कि राजा रामचंद्र महाराज द्वारा मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार करवाया गया था।

मां त्रिपुर बाला सुंदरी मां दुर्गा का ही स्वरूप है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीन पुर जिनमें हैं, वह त्रिपुर बाला है। तंत्र सार के अनुसार मां राजेश्वरी त्रिपुर बाला सुंदरी का आभा सुबह सूर्यमंडल जैसी है अौर उनके चार भुजा अौर तीन नेत्र हैं। देवी मां की उपासना करने वाले को मोक्ष अौर भोग की प्राप्ति होती है। मां श्री त्रिपुर बाला सुंदरी यहां पीठ में एक छोटी प्रतिमा में प्राकृत रूप में विराजमान है।

कहा जाता है कि श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी के मंदिर में मां के स्नान के समय चुड़ियां खनकने की आवाज सुनाई पड़ती है। ये आवाजें केवल मां के प्रिय भक्त को ही सुनाई देती है। मां की प्रतिमा चांदी की पिंडी से आवृत है। यहां पुजारी आंखें बंद करके प्रतिमा को शयन अौर स्नान करवाता है। कहा जाता है कि चैत्र माह की चतुर्दर्शी पर यहां हर साल आयोजित होने वाले मेले में पहले दिन मौसम अचानक अपना रंग बदलता है। तेज आंधी चलने लगती है और बारिश होती है। कहा जाता है कि यहां हर साल देवी मां तेज आंधी और बारिश के साथ मंदिर में प्रवेश करती हैं। देवी मां तीन दिनों तक मंदिर में ठहर कर अपने भक्तों की प्रत्येक मनोकामना को पूर्ण करती हैं। ऐसा क्यूं होता है ये रहस्य बना हुआ है।

अज्ञातवास के समय पांडवों ने यहां के वनों में शरण ली थी। पांडवों ने यहां देवी की पूजा-अर्चना की थी। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार पांडवों के पुकारने पर मां ने यहां आकर दैत्यों का वध किया था। तभी यहां वनों में मां त्रिपुर बाला सुंदरी शक्ति पीठ की स्थापना हुई थी। यहां के जंगलों में देवता भ्रमण करते थे इसलिए इस शहर का नाम देववृंद पड़ गया।

समय के साथ मंदिर के प्रवेश द्वार में अंकित तीन चौथाई भि‍त्ति चित्र नष्ट हा चुके हैं। मां बाला सुंदरी देवी के बगल में मां काली और मां शाकुंभरी देवी का मंदिर है। कहा जाता है कि यहां पर बलि देने की प्रथा आज भी कायम हैं। वर्तमान समय में बकरे की बलि देते हैं। भक्त ध्यानू, सती दुधाधारी, लोकदिया, काल भैरव की प्रतिमाएं और समाधि मंदिर के पास ही है।

Check Also

Utpanna Ekadashi Information For Hindus: Utpatti Ekadashi

Utpanna Ekadashi Date, Fasting Procedure: Utpatti Ekadashi

Utpanna Ekadashi: In North India, Utpanna Ekadashi falls in the month of Margashirsha but according …

One comment

  1. Jai Maha Shree Tripura Balasundri Maa Deoband.