मुम्बई की कान्हेरी गुफाएं - बौद्ध कला का प्रमाण

मुम्बई की कान्हेरी गुफाएं – बौद्ध कला का प्रमाण

मुम्बई विश्व में पर्यटन के लिए भी विश्व विख्यात है। यहां दूर-दूर से लोग घूमने आते हैं। मुम्बई एवं आस-पास कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जहां हम कम बजट और कम समय में छुट्टियों का आनंद उठा सकते हैं।

ऐसा ही एक पर्यटन स्थल है मुम्बई महानगर के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित कान्हेरी गुफाएं। बोरीवली के उत्तर में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के परिसर में स्थित कान्हेरी गुफाओं को देश की 15 रहस्यमयी गुफाओं में शुमार किया जाता है। संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य द्वार से कान्हेरी लगभग 6 किलोमीटर अंदर जंगल में स्थित है। प्रदूषण से जहरीली हो चुकी मुम्बई के वातावरण से यहां के घने और हरे भरे जंगल की प्रदूषण मुक्त हवा और दृश्यावली बेहद आनंदपूर्ण प्रतीत होती है।

मुम्बई की कान्हेरी गुफाएं - बौद्ध कला का प्रमाण
मुम्बई की कान्हेरी गुफाएं – बौद्ध कला का प्रमाण

यह भारत की गुफाओं में विशालतम है क्योंकि यहां गुफाओं की संख्या अजंता और एलोरा से अधिक है। कान्हेरी में कुल 110 गुफाएं हैं। कहीं-कहीं ये संख्या 109 बताई जाती है। ये सभी बौद्ध गुफाएं हैं। यहां स्थित 3, 11, 34, 41, 67 और 87 गुफाएं बेहद महत्वपूर्ण हैं। वैसे गुफाएं दर्शनीय है। कान्हेरी गुफाओं का निर्माण ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी से 11वीं शताब्दी के बीच हुआ है। अर्थात 2200 साल से ज्यादा पुरानी हैं इन गुफाओं की कलाकृतियां। ये गुफाएं बौद्ध कला दर्शाती हैं।

कान्हेरी शब्द कृष्णगिरि यानी काला पर्वत से निकला है। इन्हें बड़े-बड़े बैसाल्ट की चट्टानों से बनाया गया है। मराठी में इन्हें कान्हेरी लेणी कहते हैं। वर्षों पूर्व सतवाहन राजवंश के पदचिन्हों के अध्ययन में कान्हेरी, नानेघाट और नासिक (पांडव लेणी) गुफाओं में उपलब्ध शिलालेखों की जानकारी सामने आई है।

भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग की नजर इन गुफाओं पर काफी देर से पड़ी।

कान्हेरी को 26 मई 2009 को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया। गुफाओं की कई बुद्ध मूर्तियां खंडित हो गई हैं। पर इसके बावजूद इनका सौंदर्य महसूस किया जा सकता है। ज्यादातर बुद्ध मूर्तियां खड़ी अवस्था में हैं। माना जाता है कि कान्हेरी बौद्ध शिक्षा के अध्ययन का बड़ा केंद्र हुआ करता था। जो सामान्य गुफाएं हैं वे हीनयान संप्रदाय की मानी जाती हैं, जबकि अलंकरण वाली गुफाएं महायान सम्प्रदाय की हैं।

कान्हेरी में सबसे ऊंची बुद्ध मूर्ती 25 फुट की है। कुछ गुफाओं तक पहुंचने के लिए चट्टानों को काट कर सीढिय़ां भी बनाई गई हैं। पहाड़ी रास्ते पर चढ़ाई करते समय सुंदर जलधारा भी दिखाई देती है। सभी गुफाओं पर नंबर अंकित किए गए हैं इसलिए घूमने में कोई दिक्कत नहीं आती। बारिश के दिनों में यहां पहाड़ों से कई जल स्रोत निकलते हैं। ऊपर चढ़ते वक्त वर्षा का पानी चट्टानों से कल-कल करता नीचे की ओर प्रवाहित होता दिखाई देता है जोकि बेहद मनमोहक लगता है। इस पानी को जल कुंडों में संगृहीत किए जाने की व्यवस्था भी यहां मौजूद है। वैसे कान्हेरी में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक रहा जा सकता है। सबसे ऊपर समतल पठार है जहां मृत बौद्ध भिक्षुओं का दाह संस्कार किया जाता था। वहां कई छोटे-बड़े, कच्चे-पक्के ईंटों से निर्मित स्तूप भी बने हुए हैं।

बस और साइकिल सेवा: यहां दो बसें सेवा में हैं। मुख्य द्वार से गुफा तक के लिए बस सेवा चलती है। आपके पास निजी वाहन है तो प्रवेश टिकट देने के बाद निजी वाहन से भी जा सकते हैं। बस वन विभाग चलाता है। पर ये मिनी बस भरने पर ही चलती है। यहां दो बसें सेवा में हैं। यहां साइकिल किराए पर लेकर भी कान्हेरी के प्रवेश द्वार तक जाया जा सकता है। कान्हेरी के प्रवेश द्वार के पास एक कैंटीन भी है। यहां आप नाश्ता, चाय – काफी आदि ले सकते हैं। लेणयाद्रि की गुफाओं की तरह यहां बड़ी संख्या में बंदर भी हैं। उनसे सावधान रहना चाहिए।

Check Also

Shubhchintak: 2025 Gujarati Crime thriller Drama Film, Trailer, Review

Shubhchintak: 2025 Gujarati Crime thriller Drama Film, Trailer, Review

Movie Name: Shubhchintak Directed by: Nisarg Vaidya Starring: Swapnil Joshi, Manasi Parekh, Viraf Patell, Deep …