Meditation and music go hand in hand ध्यान और संगीत की जुगलबंधी

ध्यान और संगीत की जुगलबंधी

ध्यान और संगीत की जुगलबंधी: मेडिटेशन या ध्यान खुद को केंद्रित करने और दिनभर की थकान को दूर करने का बेहद सरल और कारगर उपाय है। इसमें म्यूजिक यानी संगीत का भी अहम रोल है। म्यूजिक, मेडिटेशन का अहम हिस्सा है जो आपके मन-मस्तिष्क को क्लियर करने और आपको उस पल में रखने में मदद करता है। जानें, आप किस तरह मेडिटेशन के दौरान म्यूजिक का सही इस्तेमाल कर सकते हैं:

ध्यान और संगीत की जुगलबंधी

1सबसे पहले एक शांत जगह ढूंढें जहां बैठकर आप मेडिटेशन कर सकते हैं। ध्यान करते वक्त अपनी शारीरिक मुद्रा सही रखें, आंखें बंद करें और अपना कंधा और गर्दन को रिलैक्स रखें।

2अब टीवी बंद करें और किसी भी तरह के डिस्ट्रैक्शन को कमरे में ना आने दें। कमरे का दरवाजा बंद कर लें और ध्यान रखें कि कोई आपको डिस्टर्ब ना करें। मोबाइल को भी बंद कर दें।

3अब कमरे में सूदिंग यानी शांति देने वाला म्यूजिक प्ले करें। म्यूजिक सुनने के लिए हेडफोन का इस्तेमाल करें। इससे आपको ऐसी फीलिंग आएगी जैसे संगीत आपके मस्तिष्क के अंदर से निकल रहा है और आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।

4अगर आपको ऐसे म्यूजिक से परेशानी है जिसमें लिरिक्स हों तो आप ऐसे म्यूजिक का चुनाव कर सकते हैं जिसमें लिरिक्स ना हों। जैसे: इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक, मेडिटेशन बेल्स या नेचर साउंड।

5अनुसंधान में पता चला है कि संगीत सुनते वक्त आप जिस आनंद का अनुभव करते हैं उससे आपकी मानसिक स्थिति बेहतर होती है और मेडिटेशन के दौरान आपको काफी मदद मिलती है।

ध्यान की परिभाषा:

तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम।। 3-2 ।। – योगसूत्र

अर्थात: जहां चित्त को लगाया जाए उसी में वृत्ति का एकतार चलना ध्यान है। धारणा का अर्थ चित्त को एक जगह लाना या ठहराना है, लेकिन ध्यान का अर्थ है जहां भी चित्त ठहरा हुआ है उसमें वृत्ति का एकतार चलना ध्यान है। उसमें जाग्रत रहना ध्यान है।

ध्यान का अर्थ:

ध्यान का अर्थ एकाग्रता नहीं होता। एकाग्रता टॉर्च की स्पॉट लाइट की तरह होती है जो किसी एक जगह को ही फोकस करती है, लेकिन ध्यान उस बल्ब की तरह है जो चारों दिशाओं में प्रकाश फैलाता है। आमतौर पर आम लोगों का ध्यान बहुत कम वॉट का हो सकता है, लेकिन योगियों का ध्यान सूरज के प्रकाश की तरह होता है जिसकी जद में ब्रह्मांड की हर चीज पकड़ में आ जाती है।

क्रिया नहीं है ध्यान:

बहुत से लोग क्रियाओं को ध्यान समझने की भूल करते हैं: जैसे सुदर्शन क्रिया, भावातीत ध्यान क्रिया और सहज योग ध्यान। दूसरी ओर विधि को भी ध्यान समझने की भूल की जा रही है।

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