बहुत समय पहले की बात हैं। एक गाँव में एक बूढ़ी औरत मारिया अपने दस वर्ष के पोते जॉर्ज के साथ रहती थी। उसने अपने बाग़ में ढेर सारे फूल जैसे चंपा, जूही, गुलाब, गेंदा, आईरिस, गुलमोहर और आर्किड लगा रखे थे और एक छोटा सा तालाब भी बनाया था जिसमें हल्के लाल और सफ़ेद रंग के कमल के फूल खिले रहते थे।
वह दिन भर बहुत मेहनत से बगीचे की देखभाल करती और सभी फूलों को अपने बच्चों की तरह प्यार करती जिसकी वजह से उसका बगीचा इन खूबसूरत फूलों से महका करता था। जॉर्ज को भी अपनी दादी की तरह फूलों से बहुत प्यार था और वह घंटों जाकर फूलों से ढेर सारी बातें करता।
जार्ज के मम्मी-पापा बचपन में ही एक कार एक्सीडेंट में गुज़र गए थे, इसलिए उसे जब भी उनकी याद आती तो वह बगीचे में जाकर फूलों को प्यार करने लगता और उनके बीच रहकर अपना दुःख भूल जाता।
जॉर्ज और उसकी दादी बहुत ही साधारण तरह से अपना जीवन जी रहे थे क्योंकि उनके पास आय का कोई साधन नहीं था सिवाये उन बगीचे के फूलों के जिन्हें वे दोनों रोज सुबह चर्च के पास जाकर बेचा करते थे।
इस बार भी सर्दियाँ जब नज़दीक आने लगी तो जॉर्ज मरिया से बोला – “दादी, मेरा कोट जगह जगह से फट गया हैं और मुझे उस कोट में बहुत ठण्ड लगती हैं।”
मारिया की बूढी आँखों में आँसूं छलक उठे और उसने जॉर्ज से छिपकर अपनी आखें पोंछ ली।
पर जॉर्ज ने दादी को रोते हुए देख लिया था इसलिए उसने आगे कुछ नहीं कहा, वह जानता था कि दादी के पास ने कोट खरीदने के पैसे नहीं हैं।
इसलिए जॉर्ज चुपचाप जाकर दादी की कमर में हाथ डालकर लेट गया और नए कोट के बारे में सोचता हुआ ना जाने कब सो गया। थोड़े दिनों बाद सर्दिया आ गई और फिर एक दिन जॉर्ज ने देखा कि सारा शहर बहुत खूबसूरत लग रहा हैं। दुकानों में जगह जगह झालरें लगी हुई थी ओर रंग बिरंगे रंगीन कागज़ों के सितारें टंगे हुए थे। केक और पेस्ट्री की खुश्बू से सारा बाज़ार महक रहा था। जॉर्ज रोज की तरह आज फिर उस दुकान के आगे रुक गया, जहाँ चार दिन पहले एक बहुत खूबसूरत नीले रंग का कोट टंगा था जो बिलकुल जैसे उसकी ही नाप का बना था।
उसके कदम जैसे उस दुकान से आगे ही नहीं बढ़ रहे थे। दादी ने जब उसका हाथ पकड़ा तो वह उनसे नज़रें चुराकर इधर उधर देखने लगा।
दादी सब समझ गई थी पर इतने महंगे कोट को खरीदने का वह सोच भी नहीं सकती थी, इसलिए उन्होंने जॉर्ज का हाथ आगे बढ़ने के लिए धीमे से अपनी ओर खींचा।
तभी सामने से एक लड़का, जो कि बहुत तेज बाइक चला रहा था, जॉर्ज से आकर टकराया और उसे गिराते हुए खुद भी गिर गया। उस लड़के को तो कुछ नहीं हुआ और वह तुरंत अपनी बाइक उठाकर खड़ा हो गया पर जॉर्ज पत्थरों वाली जमीन पर गिरने से जॉर्ज का माथा और हाथ छिल गया और उनसे खून बहने लगा। दादी खून देखकर बहुत घबरा गई और रोने लगी।
तब तक वहाँ पर कई लोग इकठ्ठा हो गए और उस बाइक वाले लड़के को भला बुरा कहने लगे।
तब तक भीड़ को चीरता हुआ एक सिपाही भी आ गया और बाइक वाले लड़के पर चिल्लाता हुआ उसे अपने साथ ले जाने लगा।
तभी उस लड़के ने जॉर्ज को पलट कर देखा। उस लड़के की आँखों में आँसूं छलछला रहे थे और वह बहुत दुखी लग रहा था।
यह देखकर जॉर्ज अपनी दादी के हाथ का सहारा लेकर उठा और सिपाही से बोला – “उसे मत ले जाइए। उसकी कोई गलती नहीं हैं। मैं ही उसके सामने आ गया था।”
यह सुनते ही सिपाही ने तुरंत उस लड़के को छोड़ा और जॉर्ज के पास आकर गुस्से से बोला – “तुम्हारे कारण बेचारा यह लड़का इतने लोगो से डाँट सुन रहा हैं। आइन्दा संभल कर चलना सड़क पर।”
जॉर्ज ने यह सुनकर सर झुककर हामी भरी और दादी का हाथ पकड़कर चर्च के सामने जाकर फूल बेचने के लिए बैठ गया।
उसकी दादी बार बार अपने रुमाल से उसका खून पोंछ रही थी।
बाइक वाला लड़का दूर खड़ा सब देख रहा था और थोड़ी देर बाद जॉर्ज और दादी अपने घर की ओर चल दिए।
जॉर्ज का पुराना कोट सड़क पर रगड़ खाने के बाद और फट गया था पर उसने दादी से कुछ नहीं कहा।
क्रिसमस के दिन दादी ने रोज की तरह ताजे फूल एक टोकरी में रखे और जॉर्ज से चर्च चलने के लिए कहा।
जॉर्ज ने जब सर्दी में कँपकँपाते हुए अपना बदरंग और फटा हुआ कोट पहना तो दादी की आँखों से आँसूं निकल कर उनके झुर्रीदार चेहरे पर गिर पड़े।
पर जॉर्ज ने मुस्कुराते हुए दादी का हाथ कसकर पकड़ लिया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो।
आज क्रिसमस के कारण बाज़ार में बहुत ज्यादा चहल पहल थी। चर्च की खूबसूरती तो देखते ही बनती थी। सभी बच्चे रंग बिरंगी नई पोशाकों में इधर उधर चहकते हुए घूम रहे थे।
तभी वहाँ पर बच्चों का सबसे प्यार दोस्त सांता क्लॉज़ अपने बड़े से लाल थैले के साथ आया। बच्चें उसे देखकर ख़ुशी से चहक उठे और उसकी तरफ दौड़ पड़े।
सांता क्लॉज़ सभी बच्चों को प्यार कर रहा था और उन्हें टॉफ़िया दे रहा था। थोड़ी देर में सभी बच्चे ख़ुशी ख़ुशी वहाँ से सांता को बाय करके चले गए।
सिर्फ जॉर्ज अपनी दादी के साथ बैठा हुआ सांता को टुकुर टुकुर देख रहा था। सांता धीरे धीरे चलता हुआ जॉर्ज के सामने जाकर खड़ा हो गया।
जॉर्ज उसे देखकर मुस्कुरा दिया और उसने एक लाल रंग का बहुत सुन्दर गुलाब सांता की तरफ़ बढ़ा दिया।
सांता बड़े ही प्यार से बोला – “पहली बार किसी बच्चे ने सांता को उपहार दिया।”
और यह कहते हुए सांता ने एक पैकेट जॉर्ज की तरफ बढ़ाया और उसके गालों को चूमकर तेजी से वहॉँ से चला गया।
जॉर्ज ने वह पैकेट खोला तो उसकी आँखें आश्चर्य से फ़ैल गई और वह लगातार उस पैकेट को देखता रहा।
पैकेट के अंदर से वही नीला कोट झाँक रहा था जो वह सड़क पर खड़ा होकर देखता था।
ख़ुशी के मारे वह अपने दादी से लिपट गया और जोर जोर से रोने लगा। उसकी दादी भी बार बार अपने आँसूं पोंछते हुए उसे चुप कराने लगी और कुछ दूरी पर बाइक वाला लड़का सांता की ड्रेस पहने हुए उन दोनों को एकटक देख रहा था, जो उसी कोट की दुकान का मालिक था और रोज जॉर्ज को उस कोट को ताकते हुए देखा करता था।
~ डॉ. मंजरी शुक्ला
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very nice story!