केसे मुझको बिसराएगी
मेरे ही उर की मदिरा से तो, प्रेयसी तू मदमाती है
सोच सुखी मेरी छाती है।
मैंने कैसे तुझे गंवाया
जब तुझको अपने मेँ पाया?
पास रहे तू किसी ओर के, संरक्षित मेरी थाती है
सोच सुखी मेरी छाती है।
तू जिसको कर प्यार, वही मैं
अपने में ही आज नही मैं
किसी मूर्ति पर फूल चढ़ा तू, पूजा मेरी हो जाती है
सोच सुखी मेरी छाती है।