मोढ़ेरा सूर्य मंदिर, अहमदाबाद Modhera Sun Temple, Gujarat

मोढ़ेरा सूर्य मंदिर, मोढेरा, महेसाणा जिला, गुजरात

Name: मोढ़ेरा सूर्य मंदिर, मोढेरा, महेसाणा जिला (Modhera Surya Mandir)
Location: Modhera Sun Temple, On Mehsana – Becharaji Road Highway, Modhera, Mehsana district, Gujarat 384212 India
Deity: Surya (सूर्य देव) (Sun God)
Affiliation: Hinduism
Completed: 1026 ई
Status: Destroyed
Creator: भीमदेव प्रथम, सोलंकी वंश (Bhima I of the Chaulukya dynasty)
Material Used: Sandstone

मोढ़ेरा का विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर, अहमदाबाद से तकरीबन सौ किलोमीटर की दूरी पर पुष्पावती नदी के तट पर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम (ईसा पूर्व 1022-1063 में) ने करवाया था। इस आशय की पुष्टि एक शिलालेख करता है जो मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर लगा है, जिसमें लिखा गया है (विक्रमी सम्वत् 1083 अर्थात-1025-1026) ईसा पूर्व) यह वही समय था जब सोमनाथ और उसके आसपास के क्षेत्रों को विदेशी आक्रांता महमूद गजनी ने अपने कब्जे में कर लिया था। गजनी के आक्रमण के प्रभाव के अधीन होकर सोलंकियों ने अपनी शक्ति और वैभव को गंवा दिया था। सोलंकी साम्राज्य की राजधानी कही जाने वाली “अहिलवाड़ पाटण” भी अपनी महिमा, गौरव और वैभव को गंवाती जा रही थी जिसे बहाल करने के लिए सोलंकी राज परिवार और व्यापारी एकजुट हुए और उन्होंने संयुक्त रूप से भव्य मंदिरों के निर्माण के लिए अपना योगदान देना शुरू किया।

सोलंकी “सूर्यवंशी” थे, वे सूर्य को कुल देवता के रूप में पूजते थे, अत: उन्होंने अपने आद्य देवता की आराधना के लिए एक भव्य सूर्य मंदिर बनाने का निश्चय किया और इस प्रकार मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर ने आकार लिया।

भारत में तीन सूर्य मंदिर हैं जिसमें पहला उड़ीसा का कोणार्क मंदिर, दूसरा जम्मू में स्थित मार्तंड मंदिर और तीसरा गुजरात के मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर शामिल है। शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करने वाले इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरे मंदिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है। ईरानी शैली में निर्मित इस मंदिर को भीमदेव ने दो हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई 51 फुट और 9 इंच तथा चौड़ाई 25 फुट 8 इंच है।

मंदिर के सभा मंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर बेहतरीन कारीगरी से विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों और रामायण तथा महाभारत के प्रसंगों को उकेरा गया है। इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वे अष्टकोणाकार तथा ऊपर की ओर देखने पर वे गोल दृश्यमान होते हैं।

इस मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार किया गया था कि जिसमें सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड स्थित है जिसे लोग सूर्यकुंड या रामकुंड के नाम से जानते हैं।

अलाऊद्दीन खिलजी ने अपने आक्रमण के दौरान मंदिर को काफी नुक्सान पहुंचाया और मंदिर की मूर्तियों की तोड़-फोड़ की। वर्तमान में भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को अपने संरक्षण में ले लिया है।

पुराणों में भी मोढ़ेरा का उल्लेख है। स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण के अनुसार प्राचीन काल में मोढ़ेरा के आसपास का पूरा क्षेत्र “धर्मरन्य” के नाम से जाना जाता था। पुराणों के अनुसार भगवान श्री राम ने रावण के संहार के बाद अपने गुरु वशिष्ठ को एक ऐसा स्थान बताने के लिए कहा जहां पर जाकर वह अपनी आत्मा की शुद्धि और ब्रह्म हत्या के पाप से निजात पा सकें। तब गुरु वशिष्ठ ने श्री राम को “धर्मरन्य” जाने की सलाह दी थी। यही क्षेत्र आज मोढ़ेरा के नाम से जाना जाता है।

कैसे पहुंचें मोढ़ेरा सूर्य मंदिर?

वायुमार्ग: निकटतम एयरपोर्ट अहमदाबाद है।

रेलमार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन अहमदाबाद करीब 102 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।

सड़क मार्ग: अहमदाबाद से यहां जाने के लिए बस एवं टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।

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