वह अपने वाहन में एयरपोर्ट के रनवे पर पैट्रोलिंग करते हुए पक्षियों पर नज़र रखते हैं। जब किसी विमान ने उड़ान भरनी होती है तो उससे पहले वह रनवे पर अपने वाहन से गुजरते हुए बंदूक़ के नकली धमाके करते हैं। उन धमाकों की आवाज से रनवे पर मौजूद पक्षी भाग जाते हैं। इसके बाद खाली रनवे से विमान सुरक्षित ढंग से उड़ान भर लेता है।
जुएयरगन एक बायोलॉजिस्ट हैं को फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे पर नियुक्त वाइल्ड लाइफ कन्ट्रोल टीम का नेतृत्व करते हैं। गौरतलब है की यह यूरोप का तीसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है। व्यस्तता के मामले में इससे पहले लन्दन के हीथ्रो तथा पेरिस के चार्ल्स डी गाउले एयरपोर्ट हैं। वह यहां हवाई जहाजों से पक्षियों को टकराने के जोखिम को दूर करने का काम करते हैं।
उनके अनुसार “हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि कुदरत तथा हवाई अड्डे के कामकाज के बीच सामंजस्य बना रहे।”
हर दिन उनका काम सुबह 5 बजे से लेकर रात 11 बजे तक जारी रहता है। वह 620 हेक्टयर के इलाके पर नजर रखते हैं। इसके आलावा आसपास स्थित 50 हेक्टयर खेतों का क्षेत्र भी उन्हें ही देखना होता है। उनके काम का मूल सिद्धान्त बेहद सरल है की उन्हें इलाके में मौजूद पक्षियों का जीवन ज्यादा से ज्यादा मुश्किल बना देना है। इतना ज्यादा की वे इलाके से दूर ही रहें।
इसके लिए जरुरी है की यहां उन्हें न तो खाने को कुछ मिले और न ही शिकार करने के लिए कुछ और न ही बैठने के लिए कोई स्थान हो।
यूं तो अधिकतर मामलो में हवाई जहाजों से पक्षियों का टकराना गंभीर नही होता है परन्तु कुछ मामलो में इससे भी काफी नुक्सान हो सकता है।
उड़ान भरना किसी भी हवाई सफर का अहम हिस्सा होता है क्योंकिं इस वक्त विमान के सभी सिस्टम अपनी पूरी क्षमता पर काम करते हैं।
पक्षी तब सबसे ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं, जब उनका आकार बढ़ जाये या उनका वजन काफी ज्यादा हों। इलाके में पाए जाने वाले छोटे बाजों का वजन लगभग डेढ़ किलो तक हो सकता है। हालाकिं, छोटे पक्षियों के बड़े झुण्ड भी समस्या पैदा कर सकते हैं। हवाई अड्डो को 100 प्रतिशत पक्षियों से मुक्त करना सम्भव नही है। फिर भी इस मामले में अधिक से अधिक सुरक्षा बरतने का प्रयास किया जाता है।
हर हवाई अड्डा अपने आप में अलग होता है। कहीं पर समुद्री पक्षी अधिक पाए जाते हैं तो कहीं पर शिकार करने वाले पक्षियों की संख्या ज्यादा होती हैं।
फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे पर सभी प्रजातियों के पक्षी मौजूद हैं। वहां चील से लेकर छोटे पक्षी और छोटे बाज व समुद्री पक्षी भी मिलते हैं। कुछ समय से मिस्र तथा कनाडा के प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ गयी हैं। ये पक्षी ही फिलहाल हवाई अड्डे की सबसे बड़ी समस्या हैं।
जब किसी पायलट को लगता ही की रनवे पर पक्षी संकट पैदा कर सकते है तो उड़न भरने से पहले रनवे की जांच आवश्यक होती है।
जुएयरगन का प्रयास होता है की रनवे के आसपास ऐसी कोई चीज न हो जिस पर पक्षी बैठ सकें, यहां तक की किसी सूचना पट्टिका के ऊपर भी तीखी नोक लगाई जाती है ताकि पक्षी उस पर पैर ही न रख सके।
एयरपोर्ट पर भी घास भी 25 सेंटीमीटर से ज्यादा छोटी नही की जाती है ताकि शिकार करने वाले पक्षी घास में छिपे चूहों या अन्य कीटो को आकाश से देख न सकें।