भारतीय ज्योतिष की बहुत सी शाखाएं हैं। ज्योतिषशास्त्रियों ने इसे बहुत से भागों में बांटा है। सामुद्रिक शास्त्र ज्योतिष शास्त्र का ही एक भाग है। जिसके अंतर्गत किसी दूसरे व्यक्ति के शारीरिक अंगों, चिह्नों, चाल-ढाल अथवा रहन-सहन के तौर-तरीके से उस व्यक्ति के चरित्र अथवा उसके अंर्तमन में छिपे बहुत से गुप्त रहस्यों को जान सकते हैं। मानव शरीर के प्रत्येक अंग की बनावट एवं उसकी प्रकृति के अतिरिक्त शरीर पर अंगित प्रत्येक चिह्न अपनी-अपनी विशेषता एवं महत्व लिए हुए हैं।
समुद्र शास्त्र के मतानुसार जिस स्त्री के मुंह पर पुरूषों की भांति मूंछों के बाल साफ- साफ दिखाई देते हों। वह स्त्री क्रोधी स्वभाव की होती है। उन्हें मैं बहुत प्रिय होती है। किसी के भी मुख से उन्हें अपने लिए न शब्द सुनना पसंद नहीं होता। कभी-कभी इनका बर्ताव बहुत क्रूर हो जाता है। सारे घर की बाग-दौड़ यह खुद से संभालती हैं और पति के होते हुए भी घर की मुखिया बन कर रहती हैं।
जिस व्यक्ति के शरीर पर ज्यादा बाल होते हैं, ऐसा व्यक्ति कामलोलुपता व भोग-विलास को अपने जीवन में अत्यधिक महत्व देता है एवं सुस्वादु खाने के पदार्थों का शौकिन होता है। ये अपने जीवन में बहुत मेहनत करते हैं और मनचाही सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं।
छाती पर अत्यधिक बालों वाला व्यक्ति शांत स्वभाव का होता है। वह अपनी दैनिक कार्यों के अनुरूप ही जीवन यापन करता है। ऐसे लोगों पर सदैव लक्ष्मी कृपा बनी रहती है। पैसा कमाने के लिए इनके पास एक से अधिक आय के साधन होते हैं। ये साहस और दलेरी से जीवन में आने वाली कठिनाईयों का सामना करते हैं।
रोमहीन छाती वाले व्यक्ति की छाती पर बाल नहीं होते, यदि होते भी हैं तो न के बराबर। वह निर्लज्ज, बेहया, और स्वार्थपरायण स्वभाव के होते हैं। ऐसे लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। ये रसिक प्रवृति के होते हैं इसलिए इनके एक से अधिक प्रेम प्रसंग होते हैं और ये धोखा देने में माहिर होते हैं। अपने दिल की बातें यह दिल में ही रखते हैं लेकिन भीतर से बहुत अकेले होते हैं।