भारतीय समाज में ही नहीं हिंदू धर्म शास्त्रों में भी महिलाओं को देवी का स्थान दिया जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में बताया गया है जिस घर की महिला सुखी है उस घर में साक्षात महालक्ष्मी निवास करती हैं। करोड़ों देवता भी उस घर को नहीं छोड़ते। स्त्री के अभाव में घर की कल्पना ही नहीं की जा सकती। वह तो मात्र मकान होता है।
महिलाओं की कोमलता, सुन्दरता और मोहकता ही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। इसी शक्ति के बल पर वह बड़े-से-बड़े वीर, महान, विद्वान और कलाकार को पैदा करती है।
हम सभी आज आधुनिक युग में जी रहे हैं, लेकिन हमारी मानसिकता कहीं न कहीं पुराने ख्यालातों में दबी हुई है। प्राचीन काल से ही भारत में नारी को शक्ति का रूप माना गया है। इन शक्तियों को हम कई रूपों में पूजते भी आए हैं। चाहे वो कोई देवी शक्ति हो या भारत माता हो।
महाभारत के अनुशासन पर्व में महिलाओं के संबंध में कुछ विशिष्ट बातों का वर्णन मिलता है। जो भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को तीरों की शैय्या पर लेटे हुए बताई थी।
जिस घर में महिलाओं का आदर नहीं होता वहां बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। जिस कुल की बहू-बेटी अशांत एवं त्रस्त रहती हैं उस कुल का शीघ्र ही पतन हो जाता है।
महिलाएं दुखी होकर जिस घर को श्राप दे देती हैं वह घर कभी फलते फूलते नहीं। महिलाओं के सम्मान में ही छिपा है पुरूषों की प्रगती का मार्ग अर्थात वह महिलाओं को इज्जत मान देंगे तो उनके सभी कार्य सिद्ध हो जाएंगे।
पुरूष पर निर्भर करता है वह कैसे घर की लक्ष्मी को सुखी और खुश रखता है जिससे वह लक्ष्मी से महालक्ष्मी बन जाती हैं।