ईश्वर की मर्जी-God’s Will एक बच्चा अपनी माँ के साथ एक दुकान पर शॉपिंग करने गया तो दुकानदार ने उसकी मासूमियत देखकर उसको सारी टोप्फ़ियों के डिब्बे खोलकर कहा कि लो बेटा टॉफियां ले लो, पर उस बच्चे ने भी बड़े प्यार से उन्हें मना कर दिया| इसके बावजूद उस दूकानदार और उसकी माँ ने भी उसे बहुत कहा पर वह मना …
Read More »गाँव के कुत्ते – सूंड फैजाबादी
हे मेरे गाँव के परमप्रिय कुत्ते मुझे देख–देख कर चौंकते रहो और जब तक दिखाई पडूं भौंकते रहो, भौंकते रहो, मेरे दोस्त भौंकते रहो। इसलिए की मैं हाथी हूं गाँव भर का साथी हूं बच्चे, बूढ़े, जवान, सभी छिड़कते हैं जान मगर तुम खड़ा कर रहे हो विरोध का झंडा बेकार का वितंडा। अपना तो ऐसे–वैसों से कोई वास्ता नहीं …
Read More »गाँव की तरफ – उदय प्रताप सिंह
कुछ कह रहे हैं खेत और खलियान गाँव की तरफ, पर नहीं सरकार का है ध्यान गाँव की तरफ। क्या पढ़ाई‚ क्या सिंचाई‚ क्या दवाई के लिये, सिर्फ काग़ज़ पर गए अनुदान गाँव की तरफ। शहर में माँ–बाप भी लगते मुसीबत की तरह, आज भी मेहमान है मेहमान गाँव की तरफ। इस शहर के शोर से बहरे भी हो सकते …
Read More »Arjun Vishaad Yog-Bhagavad Gita Chapter 1
Arjun Vishaad Yog-Bhagavad Gita Chapter 1 [Observing the Armies on the Battlefield of Kurukshetra] Dhrtarastra Said > Shaloka: 1 English O Sanjay, after assembling in the place of pilgrimage at Kuruksetra, what did my sons and sons of Pandu do, being desirous to fight? Purport Bhagavad-gita is the widely read theistic science summarized in the Gita-mahatmya (Glorification of the Gita …
Read More »संतरा बढ़ाये रोग प्रितरोधक क्षमता-Benefits Of Orange Fruit
संतरा बढ़ाये रोग प्रितरोधक क्षमता-Benefits Of Orange Fruit गर्मी हो या सर्दी, संतरा हद मौसम में उपलब्द होता है| इसमें विटामिन ‘सी’ तो प्रचुर मात्रा में पाया ही जाता है वितमिव ‘ऐ’, ‘बी’, ‘आयरन’ और कैल्शियम भी पाया जाता है| संतरा रक्तकोशिकाओं को लाल रंग प्रदान करने क साथ साथ खून को शुद्ध करने में भी सहायक है| प्रतिदिन …
Read More »जीवन तो कभी भी नष्ट हो जाएगा-Life May End Any Moment
जीवन तो कभी भी नष्ट हो जाएगा-Life May End Any Moment संत और सज्जन पुरुष जब ज्ञान को धारण करते है तो उनके मन में सम्मान का मोह और मद नष्ट हो जाता है पर वही ज्ञान दुष्टो को अहंकारी बना देता है| जिस प्रकार एकांत स्थान योिगयों को साधना के लिए प्रेिरत करता है वैसे कामी पुरुषों की काम …
Read More »गिरिधर की कुंडलियाँ – गिरिधर कविराय
लाठी में गुण बहुत हैं, सदा राखिये संग गहरी नदी, नारा जहाँ, तहाँ बचावै अंग तहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता को मारै दुशमन दावागीर, होय तिनहूँ को झारै कह गिरिधर कविराय, सुनो हो धूर के बाठी सब हथियारन छाँड़ि, हाथ में लीजै लाठी दौलत पाय न कीजिये, सपने में अभिमान चंचल जल दिन चारि को, ठाँउ न रहत निदान ठाँउ …
Read More »गीत का पहला चरण हूं – इंदिरा गौड़
गुनगुनाओ तो सही तुम तनिक मुझको मैं तुम्हारे गीत का पहला चरण हूं। जब तलक अनुभूत सच की शब्द यात्रा है अधूरी झेलनी है प्राण को गंतव्य से तब तलक दूरी समझ पाया आज तक कोई न जिसको उस अजानी सी व्यथा का व्याकरण हूं। अधिकतर संबंध ऐसे राह में जो छोड़ देते प्राण तक गहरे न उतरें सतह पर …
Read More »अब घर लौट आओ – महेश्वर तिवारी
चिट्ठियाँ भिजवा रहा है गाँव, अब घर लौट आओ। थरथराती गंध पहले बौर की कहने लगी है, याद माँ के हाथ पहले कौर की कहने लगी है, थक चुके होंगे सफ़र में पाँव अब घर लौट आओ। कह रही है जामुनी मुस्कान फूली है निबोरी कई वर्षों बाद खोली है हरेपन ने तिजोरी फिर अमोले माँगते हैं दाँव अब घर …
Read More »घर की बात – प्रेम तिवारी
जाग–जागे सपने भागे आँचल पर बरसात मैं होती हूँ, तुम होते हो सारी सारी रात। नीम–हकीम मर गया कब का घर आँगन बीमार बाबू जी तो दस पैसा भी समझे हैं दीनार ऊब गयी हूँ कह दूंगी मैं ऐसी–वैसी बात। दादी ठहरीं भीत पुरानी दिन दो दिन मेहमान गुल्ली–डंडा खेल रहे हैं बच्चे हैं नादान टूटी छाजन झेल न पाएगी …
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