बिल्ली मौसी, बिल्ली मौसी, कहो कहाँ से आई हो? कितने चूहे मारे तुमने, कितने खा का आई हो? क्या बताऊँ लोमड़ भाई, आज नहीं कुछ पेट भरा। एक ही चूहा पाया मैंने, वह भी बिलकुल सड़ा हुआ।
Read More »भारत माँ के लाल – तरुश्री माहेश्वरी
हम हैं भारत माँ के लाल यूँ तो हम कहलाते बाल, भारत की शान बढ़ाएंगे इस पर शीश झुकाएँगे। जो हम से टकराएगा मुफ्त में मारा जाएगा, कह दो इस जहाँ से पंगा न ले हिंदुस्तान से। कहने को हमें जोश नहीं ये मत समझो होश नहीं, यह देश जो हमें बुलाएगा हर बच्चा शीश कटाएगा। ∼ तरुश्री माहेश्वरी
Read More »इक ओंकार सतनाम करता पुरख – हर्षदीप कौर
इक ओंकार सतनाम करता पुरख निर्मोह निर्वैर अकाल मूरत अजूनी सभम गुरु परसाद जप आड़ सच जुगाड़ सच है भी सच नानक होसे भी सच सोचे सोच न हो वे जो सोची लाख वार छुपे छुप न होवै जे लाइ हर लख्तार उखिया पुख न उतरी जे बनना पूरिया पार सहास्यांपा लाख वह है ता एक न चले नाल के …
Read More »चित्र – नरेश अग्रवाल
चित्र से उठते हैं तरह-तरह के रंग लाल-पीले-नीले-हरे आकर खो जाते हैं हमारी आंखों में फिर भी चित्रों से खत्म नहीं होता कभी भी कोई रंग। रंग अलग-अलग तरह के कभी अपने हल्के स्पर्श से तो कभी गाढ़े स्पर्श से चिपके रहते हैं, चित्र में स्थित प्रकृति और जनजीवन से। सभी चाहते हैं गाढ़े रंग अपने लिए लेकिन चित्रकार चाहता …
Read More »चित्रकार – नरेश अग्रवाल
]मैं तेज़ प्रकाश की आभा से लौटकर छाया में पड़े कंकड़ पर जाता हूँ वह भी अंधकार में जीवित है उसकी कठोरता साकार हुई है इस रचना में कोमल पत्ते मकई के जैसे इतने नाजुक कि वे गिर जाएँगे फिर भी उन्हें कोई संभाले हुए है कहाँ से धूप आती है और कहाँ होती है छाया उस चित्रकार को सब-कुछ …
Read More »चूड़ामणि शक्तिपीठ, रूड़की, उत्तराखंड
सच्चे और ईमानदार लोग भगवान को बहुत प्रिय होते हैं। उनके साथ वो कभी कुछ बुरा नहीं होने देते सदा उनके अंग-संग रहते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं पाप करने पर भी पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। आज हम आपको यात्रा करा रहे हैं एक ऐसे मंदिर की जहां पाप करने के उपरांत ही मिलती हैं मनचाही मुरादें। …
Read More »गड़बड़ घोटाला – सफ़दर हाश्मी
यह कैसा है घोटाला, कि चाबी में है ताला। कमरे के अंदर घर है, और गाय में है गौशाला॥ दांतों के अंदर मुहं है, और सब्जी में है थाली। रुई के अंदर तकिया, और चाय के अंदर प्याली॥ टोपी के ऊपर सर है, और कार के ऊपर रस्ता। ऐनक पर लगी हैं आँखें, कापी किताब में बस्ता॥ सर के बल …
Read More »हाशिया – मनोज कुमार ‘मैथिल’
मैं एक हाशिया हूँ मुझे छोड़ा गया है शायद कभी ना भरने के लिए मेरे बाद बहुत कुछ लिखा जायेगा मुझसे पहले कुछ नहीं मैं उनके लिए अस्तित्वहीन हूँ जिनका अस्तित्व मुझसे है मैं एक हाशिया हूँ मुझे छोड़ा गया है सुन्दर दिखने के लिए मुझे छोड़ लिखे जाते हैं बड़े-बड़े विचार मुझपर विचार करने की फुर्सत कहाँ ? मैं …
Read More »दर्द माँ-बाप का – शिल्पी गोयल
वे बच्चे जो करते हैं माँ-बाप का तिरस्कार, अक्ल आती है उन्हें जब पड़ती है बुरे वक़्त की मार। क्या करे दुनिया ही ऐसी है, बेटे तो बेटे बेटियां भी ऐसी हैं। माँ-बाप का खून करते हैं बच्चे, जब बारी आती है अपनी तो रो पड़ते हैं बेचारे बच्चे। माँ-बाप के सहारे जीते थे कभी बच्चे, अब बच्चों के सहारे …
Read More »पाकिस्तान जहाँ हिंन्दू रखते हैं रोज़े
आज जबकि भारत के कुछ प्रदेशों में गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर काफी विवाद छिड़ा हुआ है, मुझे पाकिस्तान के एक समाचार पत्र में छपे एक लेख को पढऩे का अवसर मिला जो इस विवाद में उलझे लोगों के मार्गदर्शन का एक अनुपम उदाहरण बन सकता है और उन्हें यह सूझ-बूझ दे सकता है कि विभिन्न धर्मों के …
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