Long-term exposure to air pollution may lead to loss of white matter in the brain, a research has found. White matter in the brain is made of axon cells, which enable the nerves to communicate. In a new study, older women who lived in places with higher air pollution had significantly reduced white matter in the brain. “Investigating the impact …
Read More »Microsoft’s drones to catch mosquitoes and help stop epidemics
Microsoft researchers are developing autonomous drones that collect mosquitoes to look for early signs that potentially harmful viruses are spreading, with the goal of preventing disease outbreaks in humans. Project Premonition, launched by American tech company Microsoft, is developing a system that aims to detect infectious disease outbreaks before they become widespread. Project Premonition could eventually allow health officials to …
Read More »पानी की कमी – राजकुमार जैन ‘राजन’
fपानी की है कमी इस कदर, सुख गयी हैं झीलें, दरक गयी उपजाऊ भूमि, ताल रहे न गिले। नदियों, कुओं, तालाबों से, रूठ गया है पानी, कहते हैं कुछ समझदार, ये है अपनी नादानी। पर्यावरण बिगाड़ा हमने, हरे पेड़ काटे हैं, पंछी का दाना छिना है, दुःख सबको बांटें हैं। अभी वक़्त है, वर्षा के, जल को चलो सहेजें, खेतों …
Read More »प्रार्थना – हे भगवान
हे भगवान, हे भगवान। हम सब तेरी हैं संतान। ईश्वर हमको दो वरदान। पढ़ लिख कर हम बनें महान। हमसे चमके हिन्दुस्तान।
Read More »प्रिया – गगन गुप्ता ‘स्नेह’
[ads]जैसे बारिश और हवा का साथ हो, जैसे दिल में छुपी कुछ बात हो। जैसे फिजाओं में महकी एक आस हो, जैसे मिलती सांस से सांस हो॥ गगन पर छा रही है बदलियां, सुर्ख हो रहा है आसमां का रंग नया। शाम की लाली अब लगी है छाने यहां, होने वाली है प्यारी रात अब यहां॥ जैसे रात से दिन …
Read More »रत्नम गीता सार – मनोहर लाल ‘रत्नम’
आप चिन्ता करते हो तो व्यर्थ है। मौत से जो डरते हो तो व्यर्थ है॥ आत्मा तो चिर अमर है जान लो। तथ्य यह जीवन का सच्चा अर्थ है॥ भूतकाल जो गया अच्छा गया। वर्तमान देख लो चलता भया॥ भविष्य की चिन्ता सताती है तुम्हें? है विधाता सारी रचना रच गया॥ नयन गीले हैं, तुम्हारा क्या गया। साथ क्या लाये, …
Read More »रिश्तों पर दीवारें – मनोहर लाल ‘रत्नम’
टूटी माला बिखरे मनके, झुलस गये सब सपने। रिश्ते नाते हुए पराये, जो कल तक थे अपने॥ अंगुली पकड़ कर पाँव चलाया, घर के अँगनारे में, यौवन लेकर सम्मुख आया, वह अब बटवारे में। उठा नाम बटवारे का तो, सब कुछ लगा है बटने॥ टूटी माला बिखरे मनके, झुलस गये सब सपने… रिश्तों की अब बूढ़ी आँखें, देख–देख पथरायीं, आशाओं …
Read More »सभा – अजीत सिंह
जहां बात-बात पर हाथ चले, उसे कहते हैं ग्राम सभा। जहां बात-बात पर लात चले, उसे कहते हैं विधानसभा। जहां एक कहे और सब सुनें, उसे कहते हैं शोक सभा। जहां सब कहें और कोई न सुने, उसे कहते हैं लोकसभा। ∼ अजीत सिंह
Read More »रेलगाड़ी – महजबीं
छुक-छुक, छुक-छुक करती रेल, धुआं उड़ाती चलती रेल। देखों बच्चों आई रेल। रंग होता है लाल इसका, इंजन लेकिन काला इसका। पेड़, नदी, खेत, खलियान, पार कर जाती चाय की दुकान। जाती जयपुर, मालवा, खांडवा, रायपुर, बरेली और आगरा। किसी शहर से किसी नगर से, नहीं है इसका झगड़ा-वगड़ा। ∼ महजबीं
Read More »सड़क बनी है लम्बी चौड़ी
सड़क बनी है लम्बी चौड़ी, इस पर जाए मोटर दौड़ी। सब बच्चे पटरी पर जाओ, बीच सड़क पर कभी न आओ। आओगे तो दब जाओगे, चोट लगेगी पछताओगे।
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