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टिम्बकटू भई टिम्बकटू – डॉ. फहीम अहमद

टिम्बकटू भई टिम्बकटू, मैं तो हरदम हँसता हूँ। ठीक शाम को चार बजे जब, आया नल में पानी। छोड़ दिया नल खुला हुआ, की थोड़ी सी शैतानी। पानी फ़ैल गया आँगन में, नैया उसमे तैराऊं। पुंछ हिलाता मुहं बिचकाता, आया नन्हा बन्दर। उसे खिलाई मैंने टाफी, आलू और चुकंदर। मै लेटा तो मेरे सर से, बन्दर लगा ढूंढने जूं। खोला …

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तुम – नवीन कुमार अग्रवाल

शोर में शांति सी तुम, भोर में आरती सी तुम। पंछी में पंखों सी तुम, बंसी में छिद्रों सी तुम। हकीकत में भ्रान्ति सी तुम, स्वप्न में जीती जागती सी तुम। कला में सृजन सी तुम, प्रेम में समर्पण सी तुम। धड़कनों के लिए ह्रदय सा केतन हो तुम, जानते हुआ बनता जो अंजान, वो अवचेतन हो तुम। ∼ नवीन …

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अहा टमाटर बड़ा मजेदार

अहा, टमाटर बड़ा मजेदार, अहा, टमाटर बड़ा मजेदार। इक दिन इसको चुहे ने खाया, बिल्ली को भी मार भगाया, बिल्ली को भी मार भगाया। अहा, टमाटर बड़ा मजेदार। इक दिन इसको चींटी ने खाया, हाथी को भी मार भगाया, हाथी को भी मार भगाया। अहा, टमाटर बड़ा मजेदार। इक दिन इसको पतलू ने खाया, मोटू को भी मार भगाया, मोटू …

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तूफ़ान – नरेश अग्रवाल

यह कितनी साधारण सी बात है रात में तूफान आये होंगे तो घर उजड़ गए होंगे घर सुबह जगता हूँ तो लगता है कितनी छोटी रही होगी नींद धुप के साथ माथे पर पसीना पेड़ गिर गए, टूट गए कितने ही गमले, मिटटी बिखर गयी इतनी सारी और सभी चीजें कहती हैं हमें वापस सजाओ पूरी करी नींद हमारी भी, …

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वीणा की झंकार भरो – मनोहर लाल ‘रत्नम’

कवियों की कलमों  में शारदे, वीणा की झंकार  भरो। जन – गण – मन  तेरा  गुण गाये, फिर ऐसे आधार करो॥ तेरे बेटों ने तेरी झोली में डाली हैं लाशें, पीड़ा, करुणा और रुदन चीखों की डाली हैं सांसें। जन – गण मंगल दायक कर आतंक मिटा दो धरती से- दानव कितने घूम रहे हैं, फैंक रहे हैं अपने पासे॥ …

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Social media can help young adults kick the butt

Social media can help young adults kick the butt

Young adults who use social media to quit smoking are twice as successful in kicking the butt as those who use a more traditional method, a new study has found. The study compared the success of a social media-based campaign called Break It Off with Smokers’ Helpline, a telephone hotline for young adults looking to quit smoking. After three months …

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सरसों पीली – गोविन्द भारद्वाज

पहन कर साड़ी पीली-पीली, खेतों में इतराई सरसों। क्यारी-क्यारी खड़ी-खड़ी, मंद-मंद मुस्कुराई सरसों। स्वागत में बसंत ऋतु की, बढ़-चढ़ आगे आयी सरसों। करके धरती माँ का श्रृंगार, मन ही मन हर्षाई सरसों। पुरवा पवन के झोंकों संग, कोहरे में लहराई सरसों। ∼ गोविन्द भारद्वाज

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ताजमहल – राम प्रसाद शर्मा

अखिल विश्व की आन है ताज, आगरा की तो शान है ताज। शाहजहाँ ने इसे बनवाया, मुमताज प्रेम सर चढ़ाया। संगमरमर भी लगा सफेद, समझ न आये इसका भेद। अमर प्रेम की है निशानी, सोए इसमें राजा रानी। देखने इसे पर्यटक आएं, दाँतों तले ऊँगली दबाएं। विश्व धरोहर यह कहलाता, ताजमहल तो सब मन भाता। ∼ राम प्रसाद शर्मा

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